रुद्राक्ष को प्रातः काल धारण करें. इसके लिए रुद्राक्ष का 9 बार जाप करें. साथ ही, इसे सोने से पहले और हटाने के बाद भी दोहराएं. रुद्राक्ष को निकालने के बाद पवित्र स्थान जैसे पूजा स्थल पर ही रखें.
रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर इक्कीस मुखी तक होता है. इन अलग-अलग रुद्राक्ष का अपना अलग-अलग महत्व होता है. इनमें से 11 प्रकार के रुद्राक्ष सबसे ज्यादा प्रयोग में लाए जाते हैं.
मान्यता है कि शिव का रुद्राक्ष से अटूट संबंध है. इसलिए जो शिव भक्त रुद्राक्ष धारण करते हैं, उनके जाने अनजाने में किए पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन सुखमय रहता है.
मान्यता है कि भगवान शिव राम, कृष्ण और विष्णु के आराध्य थे इसलिए जो भक्त नियमित रुद्राक्ष की पूजा और जप करता है, उसे करोड़ों पुण्य की प्राप्ति होती है.
शिव जी ने एक राक्षस को 'एव मस्तु' का वरदान देकर वध किया था. राक्षस जहां गिरा वहां एक पेड़ बन गया. वरदान देने के कारण शिव उस पेड़ के फल को आभूषण में पिरोकर पहनने लगे.
ऐसी मान्यता है कि रुद्राक्ष का चमत्कारिक प्रभाव केवल 7 दिनों में ही असर दिखाने लगता है. जो शिव भक्त सच्चे मने से रुद्राक्ष धारण करता है उस पर शिव की असीम कृपा होती है.
कहा जाता है रुद्राक्ष धारण करने से भगवान शिव को माता पार्वती की याद आती है. इसलिए भगवान शिव को रुद्राक्ष बहुत प्रिय है.
ऐसी मान्यता है कि जब माता पार्वती का वियोग शिव जी से सहन नहीं हुआ तब उनके आंखों से आंसू निकल पड़े. भोलेनाथ के आंसू की धारा से एक पेड़ का निर्माण हुआ, जिसे रुद्राक्ष का नाम दिया गया.
ज्यादातर शिव भक्त रुद्राक्ष चढ़ाते हैं. माना जाता है कि रुद्राक्ष में साक्षात भोले शंकर का वास होता है. इसलिए जो भक्त अपने गले में रुद्राक्ष की माला धारण करता है, उसे शिव जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है.