शंकराचार्य का हिंदू धर्म में सर्वोच्च गुरु और संरक्षक माना जाता है. वे भारत के चार प्रमुख मठों के आध्यात्मिक प्रमुख होते हैं. इन मठों की स्थापना 8वीं शताब्दी में महान दार्शनिक और संत आदि शंकराचार्य ने की थी.
शंकराचार्यों के मठ भारत के चारों कोनों में स्थित हैं: गोवर्धन मठ, शारदा मठ , ज्योतिर्मठ, और शृंगेरी मठ हैं. इनका उद्देश्य सनातन धर्म की शिक्षा और प्रचार-प्रसार करना है.
पुरी के गोवर्धन मठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती हैं. वे अद्वैत वेदांत के विद्वान हैं और समाज में सुधार और साम्प्रदायिक सद्भाव पर जोर देते हैं.
बद्रिकाश्रम स्थित ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद हैं. वे 2006 से इस मठ के प्रमुख हैं और आध्यात्मिक शिक्षा के प्रसार में सक्रिय हैं.
द्वारका के शारदा मठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती हैं. यह मठ गुजरात के धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में महत्वपूर्ण है.
शृंगेरी मठ के शंकराचार्य जगद्गुरु भारती तीर्थ हैं. यह मठ कर्नाटक के शृंगेरी में स्थित है और भारतीय आध्यात्मिक परंपराओं का प्रमुख केंद्र है.
शंकराचार्य बनने के लिए कठिन प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. शंकराचार्य बनने के लिए ब्राह्मण, दंडी संन्यासी, चारों वेदों का ज्ञान और 6 वेदागों के ज्ञान समेत कई शर्तें होती हैं.
शंकराचार्य धर्म और समाज से जुड़े मुद्दों पर मार्गदर्शन देते हैं. उनके उपदेश और विचार लाखों हिंदुओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं.
आदि शंकराचार्य ने न केवल मठों की स्थापना की, बल्कि अद्वैत वेदांत के सिद्धांत को जन-जन तक पहुंचाया. आज उनके द्वारा स्थापित मठ भारतीय आध्यात्मिकता के स्तंभ माने जाते हैं.
यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.