हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत महत्व है. साल भर में 24 एकादशी पड़ती है. यानी हर महीने दो एकादशी पड़ती है. एकादशी के दिन व्रत रखने पर भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है. एकादशी पर चावल खाने से मनाही रहती है. हालांकि, अगर आपने गलती से चावल खा लिया तो उसके बुरे परिणामों से बचने का भी उपाय है.
हिन्दू धर्म में कहा जाता है कि एकादशी के दिन चावल खाने से परहेज करना चाहिए.
एकादशी के दिन चावल खाने से जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
अगर गलती से आपने एकादशी के दिन चावल खा लिया तो कुछ उपाय हैं जिससे जीवन पर बुरे परिणाम नहीं पड़ेगा.
भूलवश एकादशी के दिन चावल खाते ही प्रण लीजिए कि अगली बार परहेज करेंगे.
साथ ही पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर में दर्शन करने से एकादशी के दिन चावल खाने का दोष खत्म हो जाता है.
ऐसे में ख्याल रहे कि जब भी आप जगन्नाथ मंदिर जाए तो एकादशी के दिन दर्शन करें. सब दोष समाप्त हो जाएगा.
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, महर्षि मेधा ने एक बार यज्ञ में आए हुए एक भिक्षुक का अपमान कर दिया था.
इसके चलते माता दुर्गा उनसे क्रोधित हो गई थीं. माता दुर्गा को मनाने के लिए महर्षि मेधा ने शरीर का त्याग कर दिया.
मान्यता है कि जब जगह पर महर्षि मेधा ने शरीर त्याग किया था, उसकी स्थान पर महर्षि मेधा चावल और जौ के रूप में उत्पन्न हुए थे.
यही वजह है कि एकादशी के दिन चावल खाने से मनाही की जाती है.