लखनऊ स्थित गोमती को हिन्दू एक पवित्र नदी मानते हैं और भागवत पुराण के अनुसार यह पांच दिव्य नदियों में से एक है. नवाबों के शहर लखनऊ के बीचों बीच बहने वाली नदी को अगर लखनऊ की शान कहा जाए तो कम नहीं होगा.
गोमती राज्य के पीलीभीत ज़िले के माधोटांडा ग्राम के समीप स्थित गोमत ताल में शुरू होती है. 960 किलोमीटर (600 मील) का मार्ग तय करने के बाद यह गाज़ीपुर ज़िला में सैदपुर के समीप गंगा जी में विलय हो जाती है.
नवाबों की नगरी लखनऊ में मौजूद गोमती रिवर फ्रंट बहुत ही खूबसूरत है. गोमती रिवर फ्रंट युवाओं की बेहद ही पसंदीदा जगहों में गिना जाता है. ये करीब 8 किलोमीटर के क्षेत्र में है. गोमती रिवर फ्रंट में हर उम्र के लोगों के लिए कुछ न कुछ खास है.
यह नदी लगभग 15 शहरों में अपना जल प्रवाहित करती है और लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति करती है.
गोमती नदी लखनऊ की जीवन रेखा है और इस नदी की वजह से लखनऊ दो हिस्सों में बंटा हुआ है, जिसे पुराना और नया लखनऊ के रूप में जाना जाता है.
समय के साथ गोमती नदी के सूरते हाल में बदलाव आया है. नवाबों के दौर में गोमती नदी बहुत साफ और खूबसूरत हुआ करती थी. पानी बेहद साफ और पीने लायक हुआ करता था.
नवाबी दौर में गोमती नदी के ऊपर बजरे हुआ करते थे. बजरे मतलब एक तरीके का बड़ा नाव, जो दिखने में काफी बड़ा होता है.
शाम के समय में नवाब अपनी बेगम या अपने मुलजिमों के साथ घूमने निकलते थे. उस दौरान संगीत के कार्यक्रम जैसे, गजले, ठुमरी, दादरा आदि, जो किसी को भी मोहने का माद्दा रखते थे.
पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि वनवास से लौटते समय प्रभु श्रीराम ने अयोध्या में प्रवेश से करने से पहले गोमती में स्नान किया था. गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस में भी इस बात का उल्लेख है.
गोमती सरयू नदी की एक सहायक नदी है. यह नदी उत्तराखंड के बैजनाथ शहर के उत्तर-पश्चिम में भटकोट के ऊंचे इलाकों से निकलती है. बागेश्वर में सरयू से मिलती है, जो फिर पंचेश्वर की ओर बढ़ती है जहां यह काली नदी में मिलती है.