Sanjay Gandhi 42nd death anniversary: 23 जून 1980 को ठीक 7 बजकर 58 मिनट पर उन्होंने टेक ऑफ़ किया. माना जाता है कि सुरक्षा नियमों को दरकिनार करते हुए रिहायशी इलाके के ऊपर तीन लूप लगाए. लूप का मतलब ये कि प्लेन गोल-गोल चक्कर लगाने लगा. चौथी लूप लगाने ही वाले थे कि विमान के इंजन ने काम करना बंद कर दिया. पिट्स तेज़ी से मुड़ा और नाक के बल ज़मीन से जा टकराया. इस टक्कर के बाद नया नया पिट्स टू सीटर विमान मुड़ी हुई धातु में बदल चुका था. उसमें से गहरा काला धुंआ निकल रहा था. किसी तरह विमान के मलबे से दोनों के शरीर निकाले गए. तुरंत एक एंबुलेंस उन्हें लेकर राम मनोहर लोहिया अस्पताल पहुंची, जहां दोनों को मृत घोषित कर दिया गया. इस हादसे को बीते आज पूरे 42 साल हो गए हैं. लेकिन आज भी उस हादसे की चीख पुकार पूरे परिवार के कानों में गूंज रही होगी. कुछ ऐसा ही था संजय गांधी के जीवन की आखिरी उड़ान और उनका आखिरी दिन.