पितृपक्ष 15 दिनों के होते हैं. इन 15 दिनों में पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान किया जाता है, और पूरी श्रद्धा के साथ उन्हें याद किया जाता था. हिंदू धर्म में मान्यता है कि पितृपक्ष में पितरों के नियमित श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है. इससे प्रसन्न होकर पितृ अपने वंशजों पर कृपा दृष्टि रखते हैं और सुख समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. पितृपक्ष हर साल भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक चलते हैं. इस साल पितृपक्ष 10 सितंबर से शुरू होकर 25 सितंबर तक हैं. आइए जानते हैं पित्र पक्ष की तिथियां और तर्पण की विधि. 10 सितंबर 2022 को भाद्रपद की शुक्ल पूर्णिमा को पहला श्राद्ध है और आखिरी श्राद 25 सितंबर 2022 को है उस दिन सर्वपितृ अमावस्या होती है और इस दिन भूले बिसरे सभी पितरों का श्राद्ध कर सकते हैं. सुबह स्नान आदि के बाद पितरों को तर्पण करने के लिए सबसे पहले हाथ में कुश घास लेकर दोनों हाथों को जोड़कर पितरों का स्मरण करें, फिर उन्हें अपनी पूजा स्वीकार करने के लिए आमंत्रित करें. पितरों को तर्पण में जल, तिल और फूल अर्पित करें. इसके साथ ही जिस दिन पितरों की मृत्यु हुई है उस दिन उनके नाम से और अपनी श्रद्धा के अनुसार ब्राह्मणों को भोजन कराएं. इसके अलावा कौवा और कुत्ते को भोजन कराकर दान करना चाहिए.