मच्छर संसार में कितने शक्तिशाली हैं इसका इतिहास भी गवाह है. बताते हैं कि मच्छर विशालकाय डायनासोर के जमाने के हैं डायनोसर मर गए लेकिन मच्छर अभी भी धरती पर जिंदा है. इतना ही नहीं... करीब 350 साल पहले विश्व विजेता बनने निकला सिकंदर एक मच्छर से हार गया था. सिकंदर ने ईरान से यूरोप और एशिया तक अपनी विजय पताका फेरा ली थी, मगर भारत आते आते उसकी हालत खराब हो गई. यहां की आबोहवा उसके सैनिकों को रास नहीं आई और झेलम आते-आते सिकंदर और उसके सैनिकों को मच्छरों ने इतना काटा कि उसे जान बचाकर भागना पड़ा. बताते हैं कि खुद सिकंदर को मलेरिया हो गया था और वह इससे उबर नहीं सका और बेबीलोन पहुंचते-पहुंचते उसने दम तोड़ दिया. मच्छरों की मारक क्षमता की कहानी यहीं खत्म नहीं होती. बताया जाता है कि दूसरे विश्व के दौरान जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर ने ताकतवर देशों की सेनाओं को परास्त करने के लिए मच्छरों से हमला करने की योजना बनाई थी. उसने अपने वैज्ञानिकों के साथ मच्छरों को जैविक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की योजना बनाई थी. इतिहासकार टिमोथी सी वाइनगार्ड की किताब 'द मॉस्किटो : ह्यूमन हिस्ट्री ऑफ अवर डेडलिएस्ट प्रीडेटर' में बताया गया है कि मच्छर इंसानों पर कैसे भारी रहे. मच्छरों का इतिहास कितना पुराना है इसका पता ऐसे भी चलता है कि यूनानी कवि होमर जो करीब 750 ईसवी पूर्व हुए थे उन्होंने अपनी कविता 'दी इलियड' में मलेरिया का जिक्र किया था.