Varanasi News: लगभग 65 वर्ष का लेखन अनुभव रखने वाले खंडेलवाल इस समय वृद्धाश्रम में रह रहे हैं. उन्होंने अपने जीवन में सैकड़ों किताबें प्रकाशित करवाईं और आज भी उनका लेखन जारी है.
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Varanasi Writer Living in OldAge Home: कल्पना कीजिए कि आपके पास करोड़ों की संपत्ति हो और आपने सैकड़ों किताबें लिखी हों तो आप अपना भविष्य कहां देखते हैं? स्वाभाविक है कि आपने मन में कोई सुखद विचार ही आया होगा. लेकिन जरूरी नहीं है ऐसा हो. दरअसल जीवन की वास्तविकता कुछ और ही कहती है. बनारस के लेखक श्रीनाथ खंडेलवाल अब तक 400 से भी ज्यादा किताबें लिख चुके हैं लेकिन वे एक वृद्धाश्रम में रह रहे हैं. खंडेलवाल को एक समय में सरकार ने पद्मश्री देने की सोची थी लेकिन खंडेलवाल ने खुद को 10वीं पास कहकर के इसे लेने से इंकार कर दिया.
उन्होंने गृहमंत्री से कह दिया था कि वह सिर्फ 10वीं तक पढ़े हैं जबकि पद्मश्री पाने के लिए बहुत से पढ़े लिखे लोग हैं. आपको बता दें कि खंडेलवाल की किताबें तब से ऑनलााइन है जब लोगों ने सही से इंटरनेट के बारे में जाना भी नहीं था. खंडेलवाल की गीता तत्व बोधिनी एक महत्वपूर्ण किताब है क्योंकि इसमें श्लोक एक भी नहीं है. यह पूरी तरह से रिसर्च आधारित किताब है. श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच के संवाद पर खंडेलवाल ने जबरदस्त चिंतन किया है. इसके अलावा उन्होंने 3 हजार पन्नों का मत्स्य पुराण लिखा है. उन्होंने शिव पुराण, पद्म पुराण भी लिखा है. हिंदी और संस्कृत भाषाओं के अलावा खंडेलवाल असमी और बांग्ला के भी विद्वान हैं. लिखने का काम अभी जारी है.
खंडेलावाल से उनके परिजनों के बारे में पूछे जाने पर वह कुछ भी बताने से इंकार करते हैं. वे इस विषय पर बात नहीं करना चाहते हैं. हालांकि जोर देने पर वे बताते हैं कि वे काशी में और बाद में इलाहाबाद में रहे हैं. वे बताते हैं कि एक समय में जब वह बीमार पड़े तो घरवालों ने नजरअंदाज कर दिया. बाद में खंडेलवाल यहां आ पहुंचे.
दरअसल खंडेलवाल का मन अपने बच्चों से खिन्न है. उन्होंने बच्चों को पढ़ाया लिखाया लेकिन बुढ़ापे में उन्हें उनके बच्चों ने घर से निकाल दिया. बच्चे कारोबारी हैं वकील हैं लेकिन पिता को नहीं पूछते हैं. खंडेलवाल के बच्चों ने उनकी ही जोड़ी संपत्ति से ही उन्हें निकाल दिया.
इस समय वे काशी कुष्ठ सेवा संघ वृद्धाश्रम में रह रहे हैं. इस साल मार्च में खंडेलवाल को वृद्धाश्रम लाया गया था. तब से वे यहीं रह रहे हैं. 80 वर्षीय खंडेलवाल लगभग 15 साल की उम्र से लिखते आ रहे हैं. एक तरीके से उनका लिखने का अनुभव 65 सालों का है. अनुवाद करने के मामले में तो वे सिद्धहस्त हैं. जब से खंडेलवाल आश्रम आए हैं तब से लोग उनसे मिलने आ रहे हैं क्योंकि लोग धीरे धीरे उनके बारे में जान रहे हैं.