World Standards Day:आज दुनिया भर में विश्व मानक दिवस मनाया जा रहा है. एक उपभोक्ता और सेवा प्रदाता के रूप में हमारी और आपकी जिंदगी में मानकों की खास अहमियत है. मानकों को व्यक्त करने वाले चिन्ह को देखकर ही आप वस्तु या सेवा की गुणवत्ता तय करते हैं. भारत आज मानकों व और गुणवत्ता संवर्धन के क्षेत्र में तेजी से कदम बढ़ा रहा है. केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के शब्दों में अब हमें ब्रांड इंडिया को मजबूत करने के लिए वैश्विक स्तर से भी ऊंचे मानक स्थापित करने होंगे.
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अरविंद मिश्रा: दीपावली का त्योहार आने वाला है. आप घर में टीवी, फ्रीज या इलेक्ट्रॉनिक प्रॉडक्ट से लेकर खिलौने और डिब्बाबंद मिठाईयां लेकर आएंगे. इन सभी वस्तुओं को खरीदते समय आप क्या देखते हैं. निश्चित रूप से क्वालिटी. आपके द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली वस्तु या सेवा कितनी गुणवत्तापूर्ण है. इसे तय करने के लिए देश में अलग-अलग मानक हैं. हमारे आसपास मौजूद शायद ही कोई वस्तु या सेवा ऐसी हो जिसके मानक और गुणवत्ता तय करने की व्यवस्था न हो. ये बात और है कि एक आम नागरिक सोने की हॉलमार्किंग और खाद्य पदार्थों में बने एफएसएसएआई के कुछ मानक चिन्हों से ही परिचित होता है. इस बात की जानकारी बहुत कम लोगों को होगी कि घर और कॉमर्शियल बिल्डिंग के निर्माण के लिए नेशनल बिल्डिंग कोड (राष्ट्रीय भवन संहिता) है. यदि इसके आधार पर कोई घर या इमारत बनती है तो वह न सिर्फ आपदा रोधी होगी बल्कि उसमें ऊर्जा की खपत भी कम होती है.इसी तरह इलेक्ट्रिक उत्पादों से बिजली की खपत कम हो इसके लिए ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी ने कुछ मानक तैयार किए हैं. खाने पीने की चीजों की क्वालिटी तय करने वाली एफएसएसएआई के ही दो दर्जन से अधिक मानक हैं.
ये मानक आपको बताते हैं वह खाद्य नियामक के परीक्षण में सफल है या नहीं. पानी की बॉटल से लेकर प्लास्टिक के खिलौनों, रेलवे मशीनरी से लेकर भारी उद्योग में तैयार मशीनरी के लिए देश में मानक चिन्ह हैं. मानक क्षेत्र में अग्रणी निकाय भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा तो कम से कम 20 हजार मानक विकसित किए गए हैं. मानकों की अहमियत और उसके बारे में लोगों को जागरुक करने के लिए हर साल 14 अक्टूबर को विश्व मानक दिवस मनाया जाता है. इस साल विश्व मानक दिवस 'दुनिया की बेहतरी के लिए आपसी साझेदारी' (Shared Vision For a Better World) थीम पर मनाया जा रहा है.
Envisioning standards & sustainable development for a better world!
This World Standards Day, let us reaffirm the commitment of @IndianStandards to enhance our products at par with international benchmarks to further strengthen ‘Brand India’ globally. pic.twitter.com/mk59IwxWuG
— Piyush Goyal Office (@PiyushGoyalOffc) October 14, 2022
विश्व मानक दिवस इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर स्टैंडराइजेशन (आईएसओ), इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिकल कमीशन और इंटरनेशनल टेलीकम्यूनिकेशन यूनियन द्वारा सम्मिलत रूप से स्थापित किया गया. 1956 में लंदन में 25 देशों के प्रतिनिधियों की पहली सभा को चिह्नित करने के लिए इस तारीख को चुना गया था जिन्होंने स्टैंडराइजेशन की सुविधा के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन बनाने का फैसला किया था. एक साल बाद आईएसओ का गठन 1947 में हुआ था.
मानक क्षेत्र में बीआईएस की अग्रणी भूमिका
ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड की भारत में मानकीकरण गतिविधियों को विकसित करने के उद्देश्य से वर्ष 1947 को स्थापना हुई थी.भारतीय मानक संस्थान को भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम के माध्यम से साल 1986 में भारतीय मानक ब्यूरो नाम दिया गया. यह उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अंतर्गत काम करता है.
Bureau of Indian Standards is celebrating World Standards Day on 14 October 2022 to acknowledge the collaborative efforts of experts involved worldwide in standardization and develop world-class standards in India.#WorldStandardsDay #BIS #JagoGrahakJago pic.twitter.com/Wc9R5nPK5V
— Consumer Affairs (@jagograhakjago) October 14, 2022
क्यों जरुरी हैं मानक
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के मुताबिक ''देश को यदि हम 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाना चाहते हैं तो ब्रांड इंडिया का विकास करना होगा. इस यात्रा में अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों का पालन अत्यंत आवश्यक है.'' एक आम आदमी किसी भी वस्तु की गुणवत्ता को पहचान सके. इसके साथ ही अर्थव्यवस्था में उत्पादन और वितरण को टिकाऊ बनाने के लिए गुणवत्ता पर आधारित मानकों का पालन बहुत जरुरी है. भारत दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ रही इकोनॉमी है. भारत सरकार ने इस दशक के अंत तक देश की इकोनॉमी को 5 खरब डॉलर के स्तर पर ले जाने का लक्ष्य रखा है. इसे हासिल करने के लिए इकोनॉमी के प्रत्येक अंग को अपनी सहभागिता बढ़ानी होगी. मेक इन इंडिया अभियान, वोकल फॉर लोकल और सेवाओं के विस्तार से भारतीय अर्थव्यवस्था अपनी वैश्विक भूमिका बढ़ा रही है. आरबीआई के अनुसार देश में उत्पाद और सेवाओं का निर्यात इसी साल 750 बिलियन डॉलर के स्तर पर पहुंच जाएगा. मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट के अनुसार भारत एशिया और विश्व की अर्थव्यवस्था में क्रमश: 28 और 22 प्रतिशत का योगदान कर रहा है. ब्रिटेन को पीछे छोड़ भारत दुनिया की पांचवीं बड़ी इकोनॉमी बन चुका है. एक अनुमान के मुताबिक 2029 में देश विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा. ऐसे में अर्थव्यवस्था के प्राथमिक क्षेत्र से लेकर बैंकिंग, बीमा, चिकित्सा, पर्यटन जैसे क्षेत्रों के लिए गुणवत्ता का स्तर सुनिश्चित करना होगा.
भारतीय गुणवत्ता परिषद की भूमिका
भारत ने गुणवत्ता निर्धारण की दिशा में विगत कुछ वर्षों में तेजी से कार्य किया है. गुणवत्ता के समाधान की दिशा में अलग-अलग मंत्रालयों के स्तर पर नियमन, मानकीकरण (स्टैंडराइजेशन) और प्रमाणन (सर्टिफिकेशन) की स्वतंत्र व्यववस्था है. गुणवत्ता के किसी भी प्रयास को सरकार, उद्योग जगत और उपभोक्ताओं के एकीकृत प्रयासों से ही साकार किया जा सकता है. इस तथ्य के आधार पर देश में गुणवत्ता संवर्धन के लिए 1997 में भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्यूसीआई) का गठन किया गया. यह जहां क्वालिटी और एक्रेडिटेशन का मूल्यांकन करती है. वहीं सामुदायिक भागीदारी के जरिए उसे जनता के बीच लोकप्रिय भी बनाती है. गुणवत्ता संवर्धन का प्रयास स्वतंत्र व निरपेक्ष होना चाहिए. त्रिपक्षीय गुणवत्ता निर्धारक निकाय के रूप में भारतीय गुणवत्ता परिषद सेवाओं और प्रक्रियाओं का निष्पक्ष मूल्यांकन करता है. इसके लिए अलग-अलग क्षेत्र की जरुरत के अनुसार विशेषज्ञ संस्थाएं गठित की गई हैं. नेशनल एक्रिडिएशन बोर्ड फॉर सर्टिफिकेशन बॉडीज (NABCB) एक्रीडिटेशन प्रदान करने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं का पालन करती है. एनएबीसीबी 'इंटरनेशनल एक्रीडिटेशन फोरम' (IAF) और इंटरनेशनल लैबोरेटरी एक्रीडिटेशन कोऑपरेशन (ILAC) के सदस्य के रूप में गुणवत्ता निर्धारण की वैश्विक विधियों को भारत में लागू करता है. नेशनल बोर्ड फॉर क्वालिटी प्रमोशन के जरिए उद्योग जगत से लेकर युवाओं के बीच गुणवत्ता के प्रति जागरुकता के लिए प्रतियोगिताएं, संगोष्ठियां और प्रोत्साहन कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.
गुणवत्ता संवर्धन की दिशा में हो रहा तेजी से काम
एक स्वायत्त संगठन के रूप में क्यूसीआई केंद्र, राज्य व सार्वजनिक उपक्रमों को विभिन्न गुणवत्ता निर्धारण में सहयोग करती है. प्रोजेक्ट एनालसिस एंड डॉक्यूमेंटेशन डिविजन (पीएडीडी) द्वारा कृषि, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचा क्षेत्रों के लिए प्रमाणन और एक्रीडिटेशन की योजनाएं संचालित की जाती है. क्यूसीआई के अंतर्गत आने वाला नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल एंड हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स (NABH) स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक्रिडिएशन कार्यक्रम संचालित करता है. एनएबीएच 'इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर क्वालिटी इन हेल्थ केयर' का सदस्य है. नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लैबोरेट्रीज (NABL) मुख्य रूप से औद्योगिक परीक्षण और तकनीकी क्षमता का आकलन कर उन्हें एक्रेडिटेशन प्रदान करती है. गुणवत्ता संवर्धन का प्रयास प्रत्यक्ष रूप से शिक्षा, कौशल विकास से जुड़ा है. इस दिशा में नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर एजुकेशन एंड ट्रेनिंग के जरिए शिक्षा, पर्यावरण,स्किल और एमएसएमई के लिए एक्रिडिएशन सुविधा प्रदान की जाती है.
प्रयोगशालाओं को एक्रीडिटेशन प्रदान करती है क्यूसीआई
बीआईएस समेत देश में मानक प्रदान करने वाली जितनी भी संस्थाएं हैं उनकी प्रयोगशालाओं को एक्रीडिटेशन प्रदान करने का सबसे अहम कार्य क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा किया जाता है. क्यूसीआई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की महात्वाकांक्षी परियोजना स्वच्छ भारत अभियान से लेकर कोयले की गुणवत्ता तय करने में क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया की अहम भूमिका रही है. इसी तरह सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय ने ज़ेड (जीरो डिफेक्ट, जीरो इफेक्ट) सर्टिफिकेशन स्कीम शुरू की गई है. इसके तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान को प्रोत्हासित किया जा रहा है. क्यूसीआई द्वारा एमएसएमई सस्टेनेबल (ज़ेड) सर्टिफिकेशन) स्कीम को लागू किया जाता है. इसके तहत एक ओर जहां उत्पादों के निर्माण में शून्य खराबी सुनिश्चित की जाती है वहीं इस बात को प्राथमिकता दी जाती है कि वस्तु के उत्पादन के समय किसी तरह का नकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव न पड़े. इससे घरेलू मोर्चे पर जहां ग्राहकों को बेहतर उत्पाद मिलेंगे वहीं निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा.
दूर करना होगा मानक चिन्हों का भ्रम
इसमें कोई दो राय नहीं कि मानक और गुणवत्ता संवर्धन के क्षेत्र में कार्य करने वाले हर संस्थान का कार्यक्षेत्र तय है. भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) मानक, सर्टिफिकेशन, हॉलमार्किंग और क्वालिटी कंट्रोल स्कीम को क्रियान्वित करता है. डिब्बाबंद और पैकेज्ड खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता तय करने के लिए भारतीय खाद्य नियामक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के मानक चिन्ह उपयोग में लाए जाते हैं. कृषि व खाद्य उत्पादों के लिए एगमार्क सर्टिफिकेशन भारत सरकार के विपणन तथा निरीक्षण निदेशालय द्वारा अनुमोदित है. यह विश्व व्यापार संगठन द्वारा तय मानकों के आधार पर सर्टिफिकेशन चिन्ह प्रदान करता है. जाहिर है कि गुणवत्ता क्षेत्र की व्यापकता को देखते हुए मंत्रालयों, नियामक संस्थाओं व उपभोक्ताओं के बीच समन्वय बढ़ाना होगा. इससे ग्राहकों के बीच असमंजस की स्थिति दूर होगी. मौजूदा समय में किसी एक निकाय द्वारा अलग-अलग वस्तुओं व सेवाएं के लिए दिए जाने वाले मानक (निशान) इतने अधिक हैं कि इससे भ्रम पैदा होता है. सर्टिफिकेशन, एक्रीडिटेशन और क्वालिटी तय करने की प्रक्रिया भले ही अलग-अलग हो लेकिन एक आम नागरिक के बीच गुणवत्ता और मानक व्यक्त करने वाले निशान सरल और स्पष्ट होने चाहिए. इस बात का आह्वान खुद केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) ने क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया के रजत जयंती समारोह में आयोजित कार्यक्रम में किया था. इस समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि गुणवत्ता मानक अनुपालन सुनिश्चित करने वाले भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक परिषद (FSSAI) और भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) जैसे संगठनों के बीच बेहतर तालमेल बैठाने की भी जरूरत है.