World Cattle Feed Crisis : भारत में दुग्ध उत्पादन डेयरी फार्मिंग में हुए नए सुधारों की वजह से बढ़ा है, लेकिन बेमौसम बारिश जैसी वजहों से मवेशियों के चारे का संकट बढ़ा है. दूध के दाम भी तेजी से बढ़े हैं.
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World Cattle Feed Crisis : भारत दुनिया में दुग्ध उत्पादन में नंबर वन है और उत्तर प्रदेश राज्यों में दूसरे स्थान पर है. लेकिन हर साल बेमौसम बारिश से गेहूं की फसल के साथ चारे के संकट ने दूध आपूर्ति पर खतरा पैदा कर दिया है. पशुपालक किसान भी परेशान हैं कि आखिर कैसे मवेशियों के लिए सस्ता सुलभ पौष्टिक चारा हासिल कर दुग्ध उत्पादन बढ़ाया जाए. कृषि और पशुपालन क्षेत्र की कंपनी मूफॉर्म के विशेषज्ञों ने ऐसे ही मुद्दों पर अपनी बात रखी है.
हरा चारा : हरे चारे का उपयोग करने से पशुओं को ऊर्जा मिलती है और उनके दूध का उत्पादन बढ़ता है। इसलिए, आप पशुओं को नियमित रूप से हरा चारा खिला सकते हैं; जैसे कि बरसीम, मक्का, जोवार और बाजरा।
अचार : जब हरा चारा बहुतायत में उपलब्ध होता है तो उस समय आप अपने हरे चारे को संरक्षित करके /अचार बनाकर (मक्की का अचार आदि) रख सकते हैं। हरे चारे की अभाव में आप अपने पशुओं को अचार खिला सकते हैं। जिससे आप साल भर अपने पशुओं से दूध प्राप्त कर पाएंगे।
अनाज : गेहूं, जई, जौ, मक्की आदि भी दूध उत्पादन के लिए उपयोगी आहार होते हैं।
खल : सोयाबीन और बिनोले की खल भी एक उच्च प्रोटीन का स्रोत है जो पशुओं के लिए बहुत उपयोगी होता है। इसे पशुओं को खिलाने से उनका दूध उत्पादन बढ़ता है।
गेहूं का चोकर : गेहूं की चोकर भी एक सस्ता और उपयोगी आहार है जो दूध उत्पादन को बढ़ा सकता है। इसे पशुओं को खिलाने से पोषण स्तर बढ़ता है। सूखा चारा : फैट की अच्छी मात्रा प्राप्त करने के लिए सूखा चारा जैसे कि गेहूं का भूसा, आदि का उपयोग करना चाहिए.
गेहूं के भूसे के कई विकल्प
गेहूं की हर साल बिगड़ती फसल के कारण भूसा महंगा होता जा रहा है और अच्छा भूसा मिलना भी मुश्किल हो रहा है। ऐसे में, गेहूं के भूसे के लिए कुछ विकल्प हैं जिन्हें आप विचार कर सकते हैं। आप अन्य अनाजों के भूसे का उपयोग करके गेहूं के भूसे की जगह पूरी कर सकते हैं जैसे कि चावल का चारा, मक्का का चारा, बाजरा का चारा आदि। अन्य पशु आहार सामग्री का उपयोग करके भी भूसा बनाया जा सकता है, जैसे कि जई, जौ, मक्का आदि। कृषि तकनीक में उन्नति करना भी एक विकल्प है, जहाँ उच्च उत्पादन क्षमता वाले गेहूं की खेती और समय पर सही खेती तकनीक का उपयोग किया जा सकता है।
दूध के लिए अच्छी गाय या भैंसों की नस्ल
दूध की अच्छी मात्रा प्राप्त करने के लिए गाय और भैंसों की नस्ल का अच्छा होना महत्वपूर्ण होता है। हालांकि, दूध उत्पादन में भैंसों की एक खास नस्ल, जिसे मुर्रा भैंस के नाम से जाना जाता है, अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मुर्रा भैंस भारतीय पशु नस्ल है और इसकी खासियत उसके प्रदर्शनशीलता और उच्च दूध उत्पादन में होती है। इसके अलावा, मुर्रा भैंस रोगों से सुरक्षित रहने की क्षमता में भी उच्च मान्यता प्राप्त करती है। किसानों को दूध के लिए मुर्रा भैंसों को चुनने और प्रबंधित करने के लिए कदम उठाने चाहिए।
किसानों को अच्छी मुर्रा भैंसों की नस्ल का चयन करना चाहिए। इसके लिए, वे प्रमाणित और प्रमाणिक ब्रीडर्स से उच्च-गुणवत्ता वाली नस्ल के बछड़ों और बछियों को खरीद सकते हैं। मुर्रा भैंस को स्थानिक वातावरण के अनुकूल रखना चाहिए। उसे उच्च गर्मी और आर्द्रता के लिए अनुकूल ठंडक और पर्याप्त संचार की आवश्यकता होती है। कभी कभी अन्य विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है, जैसे कि नियमित वेटरिनरी जांच और रोगों के लिए सलाहकारों से सहायता। मुर्रा भैंस को दूध की उच्च गुणवत्ता और विकासशीलता के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
डेयरी फार्मिंग में ऐसे घटाएं लागत
सही पशुओं का चयन: एक अच्छी डेयरी फार्म की शुरुआत सही पशुओं के चयन से होती है। उच्च दूध देने वाली नस्लों को चुनें।
अच्छे आहार का प्रबंधन: पशुओं को सही प्रकार का और पर्याप्त मात्रा में आहार प्रदान करना आवश्यक है। हरे चारे, पशुओं के लिए पौष्टिक आहार और पानी का उचित व्यवस्थित उपयोग सुनिश्चित करें।
उचित देखभाल और स्वास्थ्य संरक्षण: दूध उत्पादन करने वाली पशुओं का नियमित चेकअप, टीकाकरण और उचित देखभाल की जरूरत होती है। वेटरनरी डॉक्टर से संपर्क करें और पशुओं के स्वास्थ्य पर नजर रखें।
गोबर गैस प्लांट का उपयोग: गोबर गैस प्लांट इंस्टाल करके, आप गैस और खाद प्राप्त कर सकते हैं, जो डेयरी फार्मिंग की लागत को कम करने में मदद करेगा।
दूध को सीधे ग्राहकों तक पहुंचाना: अपने दूध को बाजार में बिचौलियों के माध्यम से बेचने की बजाय, आप सीधे ग्राहकों तक पहुंचा सकते हैं। इसके लिए, अपने आसपास के ग्राहकों के साथ संपर्क स्थापित करें और उन्हें प्राकृतिक और स्वास्थ्यप्रद दूध प्रदान करें।
गर्मियों के महीने में पशुओं का रखें ध्यान
पशुओं की अच्छी सेहत दूध उत्पादन में महत्वपूर्ण होती है . उन्हें उचित पोषण प्रदान करें और प्रतिदिन के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करें.धूप से बचाएं और ठंडा स्थल प्रदान करें जिससे पशुओं को गर्मी से बचाया जा सके. उन्हें नियमित रूप से स्नान कराएं और परखें कि वे प्राथमिकता से हाइड्रेटेड रहें, संभावित बीमारियों के लक्षणों को जानें और उन्हें तुरंत चिकित्सक से परामर्श कराएं. इन सामग्री के साथ, नियमित वेटरिनरी चेकअप और स्वास्थ्य जांच गर्मियों में कराना अत्यंत आवश्यक है