3 राज्‍यों में तबाही का केंद्र बना हथिनी कुंड, हरियाणा से दिल्ली तक कहां-कहां गुजरते हुए कैसे लाया बाढ़
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand1779952

3 राज्‍यों में तबाही का केंद्र बना हथिनी कुंड, हरियाणा से दिल्ली तक कहां-कहां गुजरते हुए कैसे लाया बाढ़

Hathini Kund Barrage : दिल्‍ली में आई बाढ़ के लिए हथिनी कुंड बैराज को जिम्‍मेदार ठहराया जा रहा है. हथिनी कुंड बैराज से ही पानी छोड़े जाने से दिल्‍ली में यमुना का जलस्‍तर बढ़ गया. तो आइये जानते हैं हथिनी कुंड बैराज का इतिहास क्‍या है. 

Hathni Kund Barrage

Hathini Kund Barrage : भारी बारिश से दिल्‍ली के कई इलाकों में पानी भर गया है. निचले इलाकों में जनजीवन प्रभावित हो गया है. दिल्‍ली में आई बाढ़ के लिए हथिनी कुंड बैराज को जिम्‍मेदार ठहराया जा रहा है. हथिनी कुंड बैराज से ही पानी छोड़े जाने से दिल्‍ली में यमुना का जलस्‍तर बढ़ गया. तो आइये जानते हैं हथिनी कुंड बैराज का इतिहास क्‍या है. 

यह है बैराज की क्षमता 
दरअसल, हथिनी कुंड बैराज हरियाणा के यमुनानगर जिले में यमुना नदी पर बनाया गया है. उत्तराखंड और हिमाचल में हुई बारिश का पानी सीधा हथिनी कुंड बैराज में पहुंचता है. बैराज की क्षमता 100000 सीट है, जब पानी का स्तर एक लाख से ज्यादा बढ़ता है तो इस पानी को बैराज से निकलने वाली पश्चिमी और पूर्वी यमुना नहर में छोड़ दिया जाता है. 

इन राज्‍यों से गुजरता है पानी 
पश्चिमी यमुना नहर हरियाणा के सात जिलों की सिंचाई करती है. इनमें भिवानी, हिसार, जींद, रोहतक, सोनीपत, करनाल और अंबाला जिले शामिल हैं. पूर्वी यमुना नहर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, शामली, मेरठ, मुजफ्फरनगर और बागपत में सिंचाई करते हुए दिल्ली पहुंचती है. 

कहां बसा 
पश्चिमी यमुना नहर के रास्ते बैराज का यह पानी करीब 200 किलोमीटर की दूरी तय कर 72 घंटे में दिल्ली पहुंचता है. बैराज से दिल्ली के बीच मुख्य रूप से यमुनानगर, करनाल, पानीपत और सोनीपत एक तरफ और दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, शामली, बागपत और मेरठ का कुछ हिस्सा पड़ता है, तब जाकर यमुना दिल्ली में प्रवेश करती है. 

पानी छोड़ने की ये होती है वजह 
हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में जब अधिक बारिश होती है तो बैराज का जलस्तर तेजी से बढ़ता है. जलस्तर को नियंत्रित करने के लिए अधिक पानी छोड़ा जाता है. इससे यमुना के तट पर बसे दिल्ली समेत कई शहरों में बाढ़ आ जाती है. 
 
ये हैं सहायक नदियां 
हिमाचल में इसकी सहायक नदियां टोंस, पब्बर और गिरि हैं. यमुना नदी हिमाचल में 22 किलोमीटर की यात्रा करने के पश्चात उत्तर प्रदेश के इसपुर टीला पहुंचती है, जहां से उसका जल सूर्यकुंड मंदिर जो यमुनानगर में स्थित है, वहां पहुंचता है. 

सिंचाई के उद्देश्य से किया गया था निर्माण
हथिनी कुंड बैराज का निर्माण 1996 से 1999 के बीच सिंचाई के उद्देश्य से किया गया था. साथ ही बैराज में एक छोटा जलाशय भी है. 360 मीटर लंबे बैराज में दस फ्लड गेट है. 

ताजेवाला हेड की भूमिका 
हथिनी कुंड बैराज से पहले यमुना पर ताजेवाला हेड था. इसका निर्माण अंग्रेजों ने 1873 में कराया था. यह अब सेवा में नहीं है. ताजेवाला हेड से ही यमुना के पानी का बंटवारा होता था. अब यमुना के पानी का बंटवारा हथिनी कुंड बैराज से होता है. दिल्ली के लगभग 60 प्रतिशत पानी की आपूर्ति हरियाणा ही करता है. 

WATCH: सहारनपुर के कई इलाके जलमग्न, सीएम योगी ने हवाई सर्वे कर बाढ़ प्रभावितों से की मुलाकात

Trending news