अब आपकी थाली में मोटे अनाज से बने जायकों की कमी महसूस नहीं होगी. देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में मोटे और ऐसे अनाज जो विलुप्त हो रहे हैं, उन्हें बचाने के लिए खास स्कीम तैयार की गई है.
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अजीत सिंह/लखनऊ: कभी मोटे अनाज हमारे फूड चेन का सबसे अहम हिस्सा होते थे. कोदो, कुटुकी, रागी और बाजरा के उत्पादन में जहां लागत भी कम होती थी. वहीं इनमें मौजूद पोषक तत्व सेहत के लिए भी काफी लाभदायक होते थे. मोटे अनाज की अहमियत को देखते हुए मोदी सरकार के प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र संघ 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटे अनाज का वर्ष घोषित किया है. केंद्र की इस महात्वाकांक्षी योजना को उत्तर प्रदेश अपने प्रयासों से सफलता के शिखर की ओर ले जा रहा है. अन्तरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष (2023) के मद्देनजर योगी सरकार ने इस बाबत विभागवार रणनीति तैयार की है. इस पूरी कार्ययोजना का नाम है, "मिलेट्स पुनरोद्धार योजना"
21लाख हेक्टेयर से 25 लाख हेक्टेयर बढ़ेगा रकबा
इसके तहत कृषि विभाग संभवनाओं वाले जिलों में मोटे अनाजों का रकबा बढ़ाने के लिए ब्लॉक स्तर की रणनीतिक तैयार करेगा. कृषि विभाग पहले ही इन अनाजों का रकबा 21 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 25 लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य तय कर रखा है. हालांकि प्रदेश में करीब 40 लाख हेक्टेयर ऐसी भूमि चिन्हित की गई है जहां मोटे अनाजों की खेती संभव है. क्रमशः इसे बढाया जाएगा. रकबा बढ़ाने के साथ सबसे जरूरी है इनकी खेती करने वाले किसानों को भरपूर मात्रा सही समय पर गुणवत्तायुक्त बीज मुहैया कराना है.
निःशुल्क मिनीकिट और सब्सिडी पर मिलेगा बीज
इसे लेकर प्रदेश सरकार की ओर से केंद्र सरकार से बीज की मांग की जा चुकी है. वितरण का काम उप्र बीज विकास निगम,एनएससी और एफपीओ के माध्यम से कराया जाएगा. किसानों को बतौर प्रोत्साहन इनके निःशुल्क मिनीकिट भी दिए जाएंगे. साथ ही अनुदान पर भी बीज उपलब्ध कराए जाएंगे. प्रगतिशील किसानों एवं एफपीओ को इनके बीज उत्पादन के लिए भी प्रोत्साहित किया जाएगा.
प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन पर भी होगा जोर
मिलेट्स के उन्नत खेती हेतु कृषकों के प्रशिक्षण एवं क्षमतावर्धन के लिए प्रदर्शन फील्ड डे एवं एक्सपोज़र विजिट पर भी फोकस होगा. इस क्रम में कृषि विभाग का एक प्रतिनिधिमंडल बंगलुरू में आयोजित इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में भी प्रतिभाग करेगा.
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