देश में जब 'सेक्सटॉर्शन' की बात आती है, तो झारखंड का 'जामताड़ा' भारत की 'फिशिंग राजधानी' के रूप में जाना जाता है. अब जामताड़ा की सीमाएं बढ़ती ही जा रही हैं. यूपी में भी इसका असर देखने को मिल रहा है.
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Cyber Crime: देश में जब 'सेक्सटॉर्शन' की बात आती है, तो झारखंड का 'जामताड़ा' भारत की 'फिशिंग राजधानी' के रूप में जाना जाता है. अब जामताड़ा की सीमाएं बढ़ती ही जा रही हैं. यूपी में भी इसका असर देखने को मिल रहा है. जानकारी के मुताबिक साइबर अपराध के सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश के मथुरा, राजस्थान के भरतपुर और हरियाणा के मेवात में सामने आ रहे हैं. बता दें कि पिछले कुछ महीनों में इन शहरों का यह त्रिकोण डीपफेक के आधार पर ब्लैकमेल करने में माहिर होता नजर आने लगा है. वहीं, ऐसे मामले भी लगातार रिपोर्ट किए जा रहे हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी कहानी.
क्या कहना है पुलिस का
आपको बता दें कि 'सेक्सटॉर्शन' के मामले पुलिस के लिए भी चुनौती बने हुए हैं. जानकारी के मुताबिक यूपी पुलिस की साइबर सेल ऐसे लगभग 400 मामलों की जांच कर रही है. इस मामले में पुलिस अधीक्षक साइबर सेल त्रिवेणी सिंह ने जानकारी दी. उन्होंने कहा कि अब जालसाज भी तकनीक का इस्तेमाल करते है और आम लोगों को अपना शिकार बनाकर उनकी पोर्न वीडियो बना लेते हैं. वहीं, अश्लील वीडियो बनाकर ब्लैकमेलिंग का खेल शुरू होता है. जालसाज पीड़ितों को कॉल कर 5,000 से लेकर लाखों रुपये की डिमांड करते हैं. वहीं, मुंबई और कोलकाता जैसे शहरों के बड़े घर के लोगों को फंसाने के लिए ये ठग धारा प्रवाह अंग्रेजी भी बोलते हैं.
हाल ही में ऐसे 'सेक्सटॉर्शन' का शिकार बना व्यवसायी
आपको बता दें कि लखनऊ का व्यवसायी अभी हाल ही में 'सेक्सटॉर्शन' का शिकार बनाया गया. जानकारी के मुताबिक व्यवसायी को सोशल मीडिया पर महिला की फ्रेंड रिक्वेस्ट आई. उसने फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट किया. थोड़ी ही बातों में नंबर दिया गया इसके तुरंत बाद उसे व्हाट्सएप वीडियो कॉल आई. इस 15 सेकंड की कॉल के दौरान सामने से महिला ने मोहक इशारों किए और अपने शब्दों के जाल में फंसा लिया. इस दौरान वीडियो बना लिया गया. कुछ ही मिनटों में व्यवसायी से सोशल मीडिया पर लीक न करने को लेकर 30 लाख रुपये मांगे जाते हैं. मामला पुलिस तक आता है. इसके बाद मेवात से आरोपियों का पता लगाकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है.
ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के दौरान भी ठगी के मामले आए सामने
आपको बता दें कि पिछले एक साल के दौरान एक वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी समेत लगभग 300 से ज्यादा लोगों ने ऐसे मामलों को लेकर साइबर सेल से संपर्क कर चुके है. इतना ही नहीं, ऑनलाइन खरीदारी, ई-कॉमर्स वेब साइट, ऑनलाइन मार्केटप्लेस और ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के दौरान भी ठगी के मामले सामने आए हैं.
पुलिस अधीक्षक साइबर सेल ने दी जानकारी
पुलिस अधीक्षक साइबर सेल त्रिवेणी सिंह ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि ये ओएलएक्स जैसे मार्केटप्लेस पर पैनी नजर बनाए रखते हैं. जैसे ही लोग अपने उत्पाद या सामान को बेचने के लिए पोस्ट डालते हैं, ये खुद को फौजी खरीदार बताते हैं. इसके लिए ये नकली अकाउंट बनाते हैं. इसके बाद सामान खरीदने के लिए वह विक्रेता को एक क्यूआर कोड भेजते हैं. इस क्यूआर कोड से बरगलाकर वह ऑनलाइन ठगी करते हैं.
नकली पुलिस बनकर करते हैं ब्लैकमेल
इस मामले में साइबर सेल के अधिकारी ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि जामताड़ा के अलावा, ई-कॉमर्स साइटों से भी सेक्स्टॉर्शन और धोखाधड़ी हो रही हैं. ऐसे मामलों में ठगी के लिए ये जालसाज, अपने शिकार को लुभाने के लिए खास तरह के लिंक का प्रयोग करते हैं. वहीं, वीडियो कॉलिंग कर टारगेट को फंसाने के लिए मोबाइल एप्लिकेशन का प्रयोग करते हैं. अगर कोई उनका मोबाइल नंबर ब्लॉक करता है, तो वह सिम बदलकर कॉल करते हैं. आमतौर पर ये पुलिसकर्मी बनकर धमकी देते हैं. ऐसा करके ये अपना डर्टी गेम खेलते हैं.
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