आज लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती मनाई जा रही है.
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Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti: आज लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती मनाई जा रही है. इस दिन को भारत में राष्ट्रीय एकता दिवस के तौर पर मनाया जाता है. सरदार पटेल आजाद भारत के पहले उप प्रधानमंत्री थे. 31 अक्टूबर को हर साल नेशनल यूनिटी डे के रूप में मनाया जाता है.इस साल सरदार वल्लभ भाई पटेल की 146वीं जयंती है. उनकी जयंती के उपलक्ष में आइए आपको पटेल के जीवन से जुडे कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बताते हैं.
यूपी के स्कूलों में रन फॉर यूनिटी का आयोजन
सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के उपलक्ष्य में उत्तर प्रदेश के सभी सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. ‘रन फॉर यूनिटी’ कार्यक्रम में सरकारी प्राथमिक विद्यालयों के बच्चे भाग लेंगे. केंद्र सरकार से प्रेरणा लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के प्रत्येक स्कूल में ‘रन फॉर यूनिटी’ आयोजित करने का निर्णय लिया है.
महात्मा गांधी ने दी थी लौह पुरुष की उपाधि
महात्मा गांधी ने सरदार पटेल को लौह पुरुष की उपाधि दी थी.देश की आजादी में सरदार पटेल का अभूतपूर्व योगदान था. सरदार वल्लभ भाई पटेल को लौह पुरुष कहा जाता है. पटेल ने शराब, छुआछूत और नारियों पर अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी.उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता को बनाए रखने की पुरजोर कोशिश की थी. आजादी की लड़ाई के दौरान वह कई बार जेल भी गए लेकिन पटेल की दृढ़ता के सामने अंग्रेजी हुकूमत को झुकना पड़ा था.
गुजरात में हुआ था सरदार पटेल का जन्म
सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म गुजरात के खेड़ा जिले में 31 अक्तूबर को हुआ था. उनका ताल्लुक किसान परिवार से था. एक साधारण किसान परिवार का लड़का अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर भविष्य में खास बन गया. देश की भलाई के लिए उन्होंने बहुत से काम किए. किसान परिवार में जन्मे पटेल अपनी कूटनीतिक क्षमताओं के लिए भी याद किए जाते हैं.
महिलाओं ने दी वल्लभभाई पटेल को ‘सरदार’ की उपाधि
सरदार पटेल का विवाह 1891 में झवेरबा पटेल से हुआ था. उस समय उनकी उम्र महज 16 साल की थी. विवाह के बाद 22 साल की उम्र में उन्होंने मैट्रिक पास की थी. पटेल का बचपन से सपना था कि वह एक बैरिस्टर बने और इंग्लैंड से पढ़ाई करें.बारडोली सत्याग्रह आंदोलन के सफल होने के बाद वहां की महिलाओं ने वल्लभभाई पटेल को ‘सरदार’ की उपाधि प्रदान की थी.
भारत की एकता के लिए किए काम
भारत की एकता को बनाए रखने के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अनेक काम किए.सरदार पटेल ने अंग्रेजों से आजाद हुई 565 रियासतों में से लगभग सारी रियासतों को भारत संघ में शामिल होने के लिए राजी करने का काम किया था.
जानें नेशनल यूनिटी डे के बारे में
सरदार वल्लभ भाई पटेल के योगदान का सम्मान करने के लिए हर साल 31 अक्टूबर को अलग-अलग जगहों पर अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. साल 2014 में भारत सरकार ने 31 अक्टूबर को सरदार पटेल के जन्म को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था.
जानें महत्व
नेशनल यूनिटी डे पर सभी सरकारी कार्यालयों में शपथ ली जाती है कि “मैं पूरी निष्ठा से शपथ लेता हूं कि मैं देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए खुद को समर्पित करता हूं और इस एकता की भावना को अपने साथी देश के लोगों के बीच फैलाने का भी प्रयास करता हूं.
22 वर्ष में मैट्रिक, 30 महीने में वकालत
सरदार पटेल को अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने में काफी समय लगा. उन्होंने 22 साल की उम्र में 10वीं की परीक्षा पास की. परिवार में आर्थिक तंगी की वजह से उन्होंने कॉलेज जाने की बजाय किताबें लीं और खुद डीएम की परीक्षा की तैयारी करने लगे. इस परीक्षा में उन्होंने सर्वाधिक नंबर मिले. 36 साल की उम्र में सरदार पटेल वकालत पढ़ने के लिए इंग्लैंड गए. उनके पास कॉलेज जाने का अनुभव नहीं था फिर भी उन्होंने 36 महीने के वकालत के कोर्स को महज 30 महीने में ही पूरा करके अपनी विलक्षण बुद्धि का प्रदर्शन किया.
मुंबई में हुआ था निधन
सरदार पटेल जी का निधन 15 दिसंबर, 1950 को मुंबई में हुआ था. सन 1991 में सरदार पटेल को मरणोपरान्त 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया था.
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