अतीक अहमद के शूटर अब्दुल कवि का शस्त्र लाइसेंस आया सामने, उमेश पाल मर्डर केस से जुड़ रहे तार
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अतीक अहमद के शूटर अब्दुल कवि का शस्त्र लाइसेंस आया सामने, उमेश पाल मर्डर केस से जुड़ रहे तार

Umesh Pal Hatyakand Update : उमेश पाल हत्याकांड के तार अब अब्दुल कवि से जुड़ रहे हैं. सवाल यह भी उठ रहा है कि जब अब्दुल कवी राजू पाल हत्याकांड में भगोड़ा था तो उसे शस्त्र लाइसेंस कैसे मिल गया.

अतीक अहमद के शूटर अब्दुल कवि का शस्त्र लाइसेंस आया सामने, उमेश पाल मर्डर केस से जुड़ रहे तार

कौशांबी : अतीक अहमद के शार्प शूटर अब्दुल कवी के राइफल का लाइसेंस सामने आने के बाद प्रशासनिक अमले में हड़कंप मचा हुआ है. इसमें चौकाने वाली सबसे बड़ी बात यह है कि राजू पाल हत्याकांड के एक साल बाद यह लाइसेंस जारी हुआ था. अब पुलिस जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की बात कह रही है. सराय अकिल थाना क्षेत्र के भाखान्दा उपरहार गांव के रहने वाले अब्दुल कवी पर आरोप है कि वह अतीक अहमद का शार्प शूटर है. 2005 में वह राजू पाल हत्याकांड में शामिल था. हालांकि विवेचना के दौरान धूमनगंज थाने में रहे दरोगा परशुराम ने उस कथित तौर पर क्लीन चिट दे दी थी. 

चौथे विवेचक रहे एसएन परिहार ने सराय अकिल थाना क्षेत्र भखन्दा गांव निवासी अब्दुल कवी का पता और ठिकाना खोजा. उन्होंने विवेचना के दौरान यह भी दर्शाया की कवि के दाहिने हाथ में गोली लगी थी. इन सबके बावजूद कौशांबी जिला प्रशासन ने अब्दुल कवी को 2006 में राइफल का लाइसेंस दिया. राजू पाल हत्याकांड में शामिल कवि के घर पर 2008 में कुर्की की कार्रवाई भी हुई. इसके बावजूद भी 28 नवम्बर 2009 को अब्दुल कवी ऑफिस जाकर लाइसेंस का रिनुअल भी कराया. इतना ही नहीं 2014-2015 में उसने लाइसेंस का यूनिक नंबर भी लिया. मामला सामने आने के बाद आप कौशांबी पुलिस जांच कर कार्रवाई की बात कह रही है. हालांकि पुलिस के अधिकारी कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से इंकार कर रहे हैं.

राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल सहित उनके दो अंग रक्षकों की सनसनीखेज हत्याकांड के बाद पुलिस अब लगातार कार्रवाई कर रही है. इसी क्रम में कौशांबी के सराय अकिल थाना क्षेत्र के भखन्दा गांव निवासी राजू पाल हत्याकांड के आरोपी कवि पर पुलिस ने शिकंजा कसा. कौशांबी पुलिस ने कवि पर पहले 50 हज़ार का इनाम घोषित किया. फिर इस इनाम को 1 लाख कर दिया गया. इसके बाद घर पर बुलडोजर चला कर घर से अवैध हथियारों का जखीरा भी बरामद किया था. इसके बाद कई रिश्तेदारों से छापेमारी कर वैध-अवैध हथियार बरामद कर गिरफ्तारी भी की थी. इस कार्रवाई से घबराकर अब्दुल कवी ने लखनऊ की सीबीआई कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया था. इसी जांच के दौरान चौंकाने वाली जानकारी भी सामने आई. हत्याकांड के एक साल बाद ही कवि को राइफल का लाइसेंस बिना कोई जांच किए ही दे दिया गया था. अब एक बड़ा सवाल सामने आ रहा है कि अगर अब्दुल कवी पुलिस की फाइलों में भगोड़ा था तो वह कैसे 2015 में लाइसेंस का यूनिक नंबर लिया था.

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