उत्तराखंड में अगले कुछ दिनों में लोगों को बिजली कटौती का सामना करना पड़ सकता है. प्रदेश में विद्युत मांग लगातार बढ़ रही है, जबकि जरूरत के मुताबिक बिजली नहीं मिल पा रही है. अब सभी की नजरें 28 फरवरी को होने वाली मीटिंग पर टिकी हैं.
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देहरादून : उत्तराखंड में बिजली संकट गहराने की आशंका है. इसे लेकर केंद्र सरकार ने 28 फरवरी को एक हाई लेवल मीटिंग बुलाई है. दरअसल उत्तराखंड को सेंट्रल पूल से जो स्पेशल कोटे की 300 मेगावाट बिजली 12 जनवरी से मिल रही है, उसकी अवधि 28 फरवरी को खत्म हो रही है. प्रदेश की धामी सरकार इस कोटे को आगे भी जारी रखने की मांग कर रही है. यदि यह कोटा आगे जारी नहीं रहता है तो यूपीसीएल पर बोझ बढ़ेगा.
यूपीसीएल पर बढ़ेगा बोझ
इस समय भी यूपीसीएल को हर दिन 4 मिलियन यूनिट बिजली बाजार से खरीदनी पड़ रही है. प्रदेश में बिजली संकट का हल निकालने के लिए सीएम ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री को पत्र भी लिखा है. माना जा रहा है कि यदि 28 फरवरी को होने वाली मीटिंग से कोई ठोस हल नहीं निकलता है तो प्रदेशवासियों को बिजली कटौती का सामना करना पड़ सकता है. मौजूदा समय में राज्य में 40 मिलियन यूनिट बिजली की रोजाना खपत होती है.
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रूस-यूक्रेन युद्ध का असर
बताया जा रहा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद नेचुरल गैस के दाम बढ़ने से देश के अन्य पावर प्लांट की तरह उत्तराखंड और काशीपुर में भी दो प्लांट बंद हैं. ये दोनों मिलकर 321 मेगावाट बिजली पैदा करते हैं. यदि यह पावर प्लांट शुरू हो जाएं तो राज्य में बिजली का संकट दूर हो जाएगा. नेचुरल गैस और कोयले की कमी की वजह से देश में विद्युत उत्पादन मांग के मुताबिक नहीं हो पा रहा है, जबकि उत्तराखंड में हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट से भी बेहद कम उत्पादन हो रहा है. ऐसे में राज्य में पावर सप्लाई को सुचारू बनाने के लिए केंद्र सरकार के डीप पोर्टल से बिजली खरीद के प्रयास किए जा रहे हैं.
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