जब ब्राह्मण स्त्री श्राद्ध कर्म संपन्न कराने के बाद अपने गांव लौटने लगी तभी अचानक गांव में तेज बारिश शुरू हो गई..... जिसकी वजह से ब्राह्मण स्त्री को रात्रि में ग्रामीण के घर पर ठहरना पड़ा. ..फिर
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सुनील सिंह/संभल: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में भगता नगला उत्तर प्रदेश का ऐसा एक मात्र गांव है, जिसमें पितृ पक्ष के दिनों में दिवंगत परिजनों का श्राद्ध कर्म किए जाने पर पाबंदी है. यही नहीं, पितृपक्ष के दिनों में ब्राह्मणों के गांव में प्रवेश और ब्राह्मणों को दान दक्षिणा दिए जाने पर पूरी तरह प्रतिबंध है. ग्रामीणों के अनुसार यह परंपरा पिछले 100 वर्षों से चली आ रही है जिसे गांव के लोग आज भी निभा रहे हैं. गांव में मान्यता है की यदि पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म करने की कोशिश की गई तो गांव में कोई भी अनहोनी हो सकती है.
भारतीय संस्कृति में मान्यता के अनुसार पितृपक्ष में दिवंगत परिजनों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म किए जाने की परंपरा है. दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए पितृपक्ष के दिनों में लोग अपने दिवंगत परिजनों की आत्मा की शांति के लिए ब्राह्मणों को दान दक्षिणा देकर उनका आदर सत्कार करते हैं.
ये है इसके पीछे की कहानी
पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म पर पाबंदी और ब्राह्मणों के गांव में प्रवेश पर प्रतिबंध की परंपरा के संदर्भ में ग्रामीण बताते हैं की बुजुर्गो की इस बारे में अपनी कहानी है. उनके अनुसार लगभग 100 वर्ष पूर्व पितृपक्ष के दिनों में किसी ग्रामीण ने श्राद्ध कर्म संपन्न कराए जाने के लिए पड़ोसी गांव शाहजहानाबाद की ब्राह्मण स्त्री को निमंत्रण देकर बुलाया गया था.
श्राद्ध कर्म संस्कार के दौरान ब्राह्मण स्त्री को दान दक्षिणा देकर आदर सत्कार किया गया.
जब ब्राह्मण स्त्री श्राद्ध कर्म संपन्न कराने के बाद अपने गांव लौटने लगी तभी अचानक गांव में तेज बारिश शुरू हो गई. जिसकी वजह से ब्राह्मण स्त्री को रात्रि में ग्रामीण के घर पर ठहरना पड़ा. सुबह होने पर ब्राह्मण स्त्री अपने घर पहुंची तो उसके पति ने ब्राह्मण स्त्री के रात में ग्रामीण के घर पर रुकने पर अपमानजनक आरोप लगाए. महिला को अपमानित कर घर से निकाल दिया. जिसके बाद ब्राह्मण स्त्री ने वापस भगता नगला गांव पहुंचकर ग्रामीणों से यह वचन लिया की पितृपक्ष के दिनों में कोई भी अपने दिवंगत परिजनों का श्राद्ध कर्म नहीं करेगा और न ही किसी ब्राह्मण को अपने गांव में प्रवेश करने देगा.
100 साल पुरानी परंपरा निभा रहे ग्रामीण
किसी ग्रामीण ने पितृपक्ष के दिनों में श्राद्ध कर्म कराने की कोशिश की अथवा किसी ब्राह्मणों का आदर सत्कार कर गांव में प्रवेश करने दिया तो गांव को दैवीय आपदाओं का सामना करना पड़ेगा. गांव के पूर्वजों द्वारा 100 वर्ष पूर्व ब्राह्मण स्त्री को दिए गए वचन को परंपरा मान कर ग्रामीण आज भी निभा रहे हैं.