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सहारनपुर: सहारनपुर के प्रगतिशील किसान डॉक्टर सेठपाल को कृषि में नए-नए प्रयोग कर किसानों को प्रेरित करने के लिए पदम श्री से सम्मानित किया गया है. इससे पहले भी उन्हें कृषि विविधीकरण के क्षेत्र में अहम योगदान देने के लिए राष्ट्रीय स्तर के कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है.
कृषि के विविधिकरण को अपनाया
उन्होंने कृषि के विविधीकरण को अपनाया, तालाब की बजाय खेत में सिंघाड़े का उत्पादन करते हैं. कमल के फूल, मत्स्य पालन, सब्जी उत्पादन के साथ ही मशरूम की खेती भी करते हैं. वह गन्ने की फसल, के साथ ही प्याज, आलू, सरसों, मसूर, टिंडा और हल्दी की खेती भी करते हैं. इसके अलावा उन्होंने ऑर्गेनिक खेती में भी हाथ आजमाया है. इसमें वह वर्मी कंपोस्ट को स्वयं तैयार करके खेती में प्रयोग कर रहे हैं, जिससे उन्होंने फसलों के बढ़िया उत्पादन के साथ ही भूमि में जीवांश कार्बन की मात्रा को मेंटेन कर रखा है.
किसानों की रोज आमदनी का निकाला विकल्प
डॉक्टर सेठपाल बताते हैं कि पहले वह भी गन्ना, गेहूं और धान के ही किसान थे, लेकिन वह घाटे के सौदे के अलावा कुछ नहीं था. ऐसे में उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क किया. जहां वैज्ञानिकों ने कृषि विविधीकरण के बारे में उन्हें जानकारी मिली. उसके बाद उन्होंने एक ऐसा सिस्टम इजाद किया. जिससे किसानों की रोज आमदनी हो. गन्ने की खेती के साथ अब वह सब्जियों की खेती भी करते हैं. मछली पालन के साथ ही पशुपालन और मशरूम की खेती भी करते हैं.
विभिन्न प्रयोगों से एक साथ उगाते हैं कई फसलें,
बीएससी एग्रीकल्चर सेठपाल सिंह खेती के क्षेत्र में विभिन्न प्रयोग कर एक साथ कई फसल उगाते हैं. इनके द्वारा गन्ने का उत्पादन क्षेत्र में कई उत्कृष्ट कार्य किए गए हैं. अत्यधिक उत्पादन के लिए कई पुरस्कार भी प्राप्त किए प्रगतिशील किसान सेठ पाल ने विगत वर्ष अपने खेत में ही ढोल बनाकर सिंघाड़े की फसल उगाई. इनका मानना है कि किसान को अपनी फसलों पर भी ध्यान देना चाहिए. इसके लिए आसपास के किसानों को प्रशिक्षण देते हैं.
सेठ पाल ने बताया कि वह अपने खेत के पास ही तालाब में मछली का पालन भी करते हैं. साढ़े 4 फीट पानी में 3 प्रजातियों की मछली डालते हैं, इसमें रोहू कतला और नैन का पालन करते हैं.
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