Nithari Case: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में निठारी कांड में फांसी की सजा के खिलाफ सुरिंदर कोली व मनिंदर सिंह पंढेर की अपीलों की सुनवाई उनके अधिवक्ता की गैर मौजूदगी के कारण नहीं हो सकी.
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मोहम्मद गुफरान/प्रयागराज: निठारी कांड में फांसी की सजा के खिलाफ सुरिंदर कोली व मनिंदर सिंह पंढेर की अपीलों की सुनवाई उनके अधिवक्ता की गैर मौजूदगी के कारण नहीं हो सकी. अपीलों की सुनवाई कर रहे इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस मनोज मिश्र और जस्टिस समीर जैन की डिविजन बेंच ने अपीलों को दूसरी पीठ के सामने पेश करने का निर्देश दिया है.
सीबीआई कोर्ट गाजियाबाद ने सुरेंदर कोली और मनिंदर सिंह पंढेर को लगभग एक दर्जन से अधिक केसों में अधिकांश में फांसी की सजा सुनाई है. दोनों आरोपियों ने सजा के खिलाफ कुल 13 अपीलें दाखिल हैं. सीबीआई के वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश व संजय यादव ने बताया कि अपीलार्थी अधिवक्ता लगातार तीसरी बार सुनवाई स्थगित करने की प्रार्थना की, जिस पर कोर्ट ने सक्षम क्षेत्राधिकार वाली अदालत में पेश करने का निर्देश दिया है.
जानिए क्या है पूरा मामला
बता दें कि साल 2006 में निठारी हत्याकांड का खुलासा हुआ था. जब निठारी गांव की नाबालिग लड़कियां गायब हो रही थीं. मानव कंकाल नोएडा स्थित पंढेर के मकान से बहने वाले नाले में नर कंकाल के रूप में मिले. मामले की जांच कर रही सीबीआई ने लड़कियों से दुराचार कर नृशंस हत्या कर लाश के टुकड़े कर खून पीना, पकाकर खाने जैसे गंभीर अपराधों का खुलासा किया. जिसके बाद सीबीआई कोर्ट ने अभियुक्तों को फांसी की सजा सुनाई है. इसी सजा के खिलाफ दोनों ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की है.
बता दें, सुरेंद्र कोली उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले का रहने वाला है. साल 2000 में वह दिल्ली आया. जहां वह एक ब्रिगेडियर के घर खाना बनाने का काम करने लगा. जिसके बाद साल 2003 में वह मोनिंदर सिंह पंढेर के संपर्क में आया और नोएडा के सेक्टर 31 के 5-D में काम करने लगा. 2004 में पढ़ेर के परिवार के पंजाब चले जाने के बाद दोनों वहीं रहने लगे. आरोप है कि कोली यहां से गुजरने वाले बच्चों के साथ वह दुष्कर्म करने के बाद उनकी हत्या कर देता था.