Millets Benefits :योगी सरकार ने मोटे अनाज की अहमियत को पहचानते हुए अब उसे मिड डे मील में शामिल करने की तैयारी है. केंद्र से प्रस्ताव को मंजूरी मिलते ही यूपी की स्कूलों में बच्चों को बाजरे और ज्वार की बनी रोटियां और स्वादिष्ट खिचड़ी मिलेगी.
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लखनऊ : उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों के छात्रों को बेहतर पोषण के लिए सरकार ने सप्ताह में कम से कम एक बार बाजरे की रोटी और खिचड़ी देगी. इसकी शुरुआत जल्द हो सकती है. वर्ष 2023 को 'अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष' घोषित किया गया है. उत्तर प्रदेश में स्कूल शिक्षा महानिदेशक विजय किरण आनंद ने बताया कि ''मध्याह्न भोजन में मोटे अनाज को शामिल करने के संबंध में हम जल्द ही केंद्र सरकार के अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे.'' कक्षा एक से आठ तक के सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराने के लिए जिम्मेदार उत्तर प्रदेश के मध्याह्न भोजन प्राधिकरण ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव दिया है. प्रस्ताव में राज्य भर के 1.42 लाख स्कूलों में छात्रों को मोटा अनाज आधारित भोजन परोसे जाने की मंजूरी मांगी गई है. योजना के मुताबिक मिड डे मिल में छात्रों को बाजरे की रोटी या खिचड़ी परोसी जाएगी. इसके साथ सब्जी या मूंग की दाल दी जाएगी. इसके लिए मध्याह्न भोजन प्राधिकरण को अनुमानित 62,000 टन मोटा अनाज खरीदने की जरूरत है. वर्तमान में सप्ताह में छह दिन बच्चों को सब्जियों या प्रोटीन के साथ गेहूं या चावल से बने व्यंजन परोसे जाते हैं.
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उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने हाल में मध्याह्न भोजन कार्यक्रम में बाजरा को शामिल करने की योजना की घोषणा की थी. मध्याह्न भोजन कार्यक्रम के लिए बाजरा उपलब्ध कराने के वास्ते राज्य सरकार ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को एक प्रस्ताव भी भेजा है. शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कहा कि अगर केंद्र सरकार द्वारा प्रस्ताव को मंजूरी दे दी जाती है और आवश्यक मात्रा में खरीद की जाती है, तो गर्मियों की छुट्टियों के बाद योजना जल्द ही लागू हो जाएगी. अभी तक उत्तर प्रदेश में मध्याह्न भोजन का कुल बजट लगभग 3,000 करोड़ रुपये है. केंद्र सरकार लागत का 60 प्रतिशत वहन करती है और शेष राज्य द्वारा वहन किया जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक बाजरा पोषक तत्वों के साथ-साथ आवश्यक यौगिकों से भरपूर होता है और गेहूं या चावल की तुलना में बेहतर भोजन विकल्प माना जाता है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
लखनऊ में रहने वाली आहार विशेषज्ञ पूर्णिमा कपूर के मुताबिक ''फिलहाल मोटा अनाज हमारे घरों में भोजन के रूप में अक्सर नहीं खाया जाता है. इसलिए, स्कूल में बच्चों के लिए बाजरा को भोजन के रूप में पेश करना एक चुनौती होगी. इसे ध्यान में रखते हुए, राज्य सरकार ने शिक्षकों को मोटे अनाज के लाभ के बारे में छात्रों के बीच जागरूकता फैलाने का काम सौंपा है.'' डायटीशियन डॉ. मनीषा अग्रवाल के मुताबिक ''मोटे अनाज से बने खाद्य पदार्थ जीवनशैली आधारित बीमारियों को दूर करने में सहायक हैं. यह ग्लुटन फ्री होता है. ऐसे में यह मोटापा,ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी समस्याओं से निजात दिलाने में मददगार हैं.'' शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने कहा,''शिक्षकों को बाजरा के लाभ के बारे में छात्रों को जागरूक करने के लिए कई संवादात्मक गतिविधियां करने का सुझाव दिया गया है. इससे निश्चित रूप से उनके बीच इस अनाज की स्वीकार्यता बढ़ेगी." उत्तर प्रदेश सरकार ने यह भी घोषणा की है कि वह इस वर्ष राज्य में बाजरा के उत्पादन और खपत को बढ़ावा देने के लिए 110 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करेगी. कृषि (योजना) के संयुक्त निदेशक जगदीश कुमार ने कहा "राज्य में बाजरे के उत्पादन और खपत को बढ़ावा देने का कार्यक्रम 2027 तक चलेगा. मध्याह्न भोजन में बाजरा शामिल करना भी इसी प्रयास का हिस्सा है." कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में से 53 में लगभग 19.5 लाख टन मोटे अनाज का उत्पादन होता है.
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