MGNREGA Scam: काम कराए बिना हड़पे 55 लाख रुपये, आरोपियों को जमानत देने से HC ने किया इंकार
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MGNREGA Scam: काम कराए बिना हड़पे 55 लाख रुपये, आरोपियों को जमानत देने से HC ने किया इंकार

Allahabad HC on MGNREGA Scam:  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सहकारी निर्माण एवं विकास लिमिटेड (यूपीसीसीडीएल) के तत्कालीन अध्यक्ष भिखारी सिंह और इसके तत्कालीन प्रबंध निदेशक विनोद सिंह की जमानत याचिका खारिज कर दी है. दोनों पर मनरेगा योजना के तहत धन के दुरुपयोग का आरोप है. 

फाइल फोटो.

मोहम्मद गुफरान/प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad News) ने उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव कांस्ट्रक्शन लि. लखनऊ के तत्कालीन अध्यक्ष भिखारी सिंह व तत्कालीन सीईओ विनोद सिंह की जमानत पर रिहा करने से इंकार कर दिया है. इसके साथ ही जमानत अर्जी खारिज कर दी है. इन पर मथुरा के छाता विधानसभा क्षेत्र के गांवों में मनरेगा के तहत खड़ंजा बिछाने के लिए दिए गए 55.30 लाख रुपये बिना काम कराये हड़पने का आरोप है. सेशन कोर्ट ने काम पूरा कराने की शर्त पर अंतरिम जमानत मंजूर की थी. लेकिन कोर्ट आदेशों का पालन नहीं किया गया. जिस पर जस्टिस समित गोपाल की एकलपीठ ने अभियुक्तों की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है. 

न्यायमूर्ति समित गोपाल ने कहा, “मौजूदा मामला सरकारी पैसे के दुरुपयोग का है और यह पैसा विभिन्न जिलों के प्रखंडों के विकास और बेहतरी के लिए आवंटित किया गया था. यह पैसा अग्रिम में आवंटित कर दिया गया, लेकिन काम नहीं किया गया या पूरा नहीं किया गया. अग्रिम में प्राप्त पैसे की बंदरबांट के लिए सोसाइटी के भीतर षड़यंत्र किया गया जिसमें आरोपी व्यक्ति सफल रहे. सरकारी खजाने को जितना नुकसान हुआ और उतना ही फायदा आरोपी व्यक्तियों को हुआ क्योंकि पैसे का अग्रिम भुगतान किए जाने के बावजूद काम नहीं किया गया.”

क्या है मामला?
अर्जी पर सीबीआई की तरफ से ‌वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश व संजय कुमार यादव ने बहस की. जिसके मुताबिक, तत्कालीन विभागीय मंत्री के अनुरोध पर साल 2008-10 में विकास कार्य का ठेका याची की कंपनी को दिया गया था. इंटरलॉकिंग का कार्य किया जाना था. रुपये कंपनी के खाते में ट्रांसफर कर दिए गए थे. जिसे कंपनी के मथुरा कार्यालय में भेजा गया. पैसा मिलने के बाद न ही कोई काम कराया गया. ना ही किसी भी श्रमिक जॉब कार्ड पर कोई भुगतान किया गया. ऐसे षड्यंत्र कर 55.30 लाख रुपये हड़प लिया गया. 

सीबीआई ने गाजियाबाद में दर्ज की एफआईआर
वहीं, इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने 31 जनवरी, 2014 को सीबीआई को मनरेगा के पैसे के दुरुपयोग के मामले की जांच करने का निर्देश दिया था. प्रारंभिक जांच में घपले का खुलासा होने पर सीबीआई ने गाजियाबाद में एफआईआर दर्ज की. कुल 11 आरोपियों की जांच के बाद याचियों सहित चार नामजद अभियुक्तों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई. वहीं, मंगलवार को बिना काम कराये पैसा हजम करने के अपराध की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने जमानत देने से इंकार कर दिया है. 

 

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