UP News: कानपुर पुलिस भू-माफिया के खिलाफ अभियान के तहत पुलिस ने 15 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. मकसूदाबाद में फर्जीवाड़ा कर भू-माफिया ने सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा कर लिया. जानिए पूरा मामला...
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श्याम तिवारी/कानपुर: उत्तर प्रदेश के कानपुर पुलिस भू-माफिया के खिलाफ अभियान तेज कर दिया है. एंटी भू-माफिया अभियान के तहत पुलिस ने 15 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. दरअसल, कल्याणपुर विकास खंड के मकसूदाबाद में फर्जीवाड़ा कर भू-माफिया ने सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा कर लिया. बेखौफ भू माफिया ने केवल जमीन पर कब्जा ही नहीं किया, बल्कि अवैध कब्जे की जमीन पर प्लॉटिंग कर लोगों को बेच डाला.
बिठूर थाने में एफआईआर दर्ज
आपको बता दें कि इसकी कीमत तकरीबन 200 करोड़ रुपये है. जानकारी मिलने पर मामले को प्रशासन ने काफी गंभीरता से लिया है. बता दें कि इस मामले में बिठूर थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है.
बिना किसी आदेश के 105 बीघा जमीन में गोलमाल
जानकारी के मुताबिक गोलमाल इस कदर हुआ कि बिना किसी आदेश के 105 बीघा सरकारी जमीन 15 लोगों के नाम दर्ज हो गई. शिकायत पर एसडीएम सदर ने मामले की जांच कराई, तब सारा खेल सामने आया. इस मामले में एक्शन दिखाते हुए प्रशासन की तरफ से तत्काल वाद दर्ज कर फर्जी नाम हटाए गए. यह जमीन वापस ग्राम सभा के नाम से दर्ज कराई गई.
जानकारी के मुताबिक इस मामले की शिकायत जिलाधिकारी कानपुर से की गई थी. शिकायत पर संबंधित लेखपाल से जांच कराई गई. जांच में यह बात सामने आई कि दर्ज नामों का उस जमीन से कोई लेना-देना नहीं निकला, जिन लोगों के नाम से जमीन दर्ज थी, वो मकसूदाबाद के रहने वाले भी नहीं हैं. दर्ज नामों को पट्टा समेत कोई आदेश सरकारी दस्तावेजों में नहीं दिया गया था.
किस मामले में जेसीपी ने दी जानकारी
इस मामले में जेसीपी आनंद प्रकाश तिवारी ने बताया कि रजिस्टर और खतौनी में लंबे समय से नाम चढ़े हुए चले आ रहे थे. ग्राम सभा की जमीन पर फर्जीवाड़ा कर जमीन को हथिया लिया गया था. ग्राम सभा की जमीन पर नाम दर्ज कराकर करीब एक दर्जन अराजियों पर प्लॉटिंग करने के साथ ही सरकारी जमीन पर पक्के निर्माण भी करा दिए गए. लेखपाल की तहरीर पर बिठूर थाने में 15 शातिर भू-माफिया पर धोखाधड़ी सहित कई धाराओं में मामला दर्ज कराया गया है.
एसडीएम ने लेखपाल को किया निलंबित
वहीं, टिकरा में तैनात लेखपाल अमित दीक्षित को एसडीएम ने तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है. फिलहाल, देखना यह है कि इस मामले में कानपुर जिला प्रशासन आगे क्या एक्शन लेते हैं.
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