बुंदेलखंड न्यूज:चेकडैम के निर्माण के बाद से यहां के किसानों को काफी हद तक फायदा पहुंचा है. इससे जालौन जिले की लगभग 110 एकड़ की असिंचित भूमि फिर से लहलाने लगी और यहां के किसान काफी खुश नजर आ रहे हैं....
Trending Photos
जितेंद्र सोनी/जालौन: उत्तर प्रदेश के नक्शे में बुंदेलखंड की पहचान सूखाग्रस्त इलाके में होती थी, लेकिन अब यहां के किसानों की तस्वीर के साथ तकदीर भी बदलने लगी है ऐसा इसलिए संभव हो पाया है कि जालौन के रहने वाले युवा समाजसेवी वरुण सिंह ने परमार्थ समाज सेवी संगठन के साथ मिलकर जल संरक्षण को लेकर मुहिम छेड़ी और एमबीए की शिक्षा पूरी करने के बाद उनका चयन यूथ एक्सचेंज प्रोग्राम में हुआ. इस दौरान उन्हें नॉर्वे जाने का मौका मिला जहां पर उन्होंने नए कृषि पद्धतियों को सीखा और उन पर शोध किया. भारत लौटने के बाद उन्नत कृषि पद्धति को अपनाने के लिए किसानों को प्रेरित किया और कम पानी में कैसे अच्छी फसल की पैदावार कैसे करें इस को लेकर काम किया.
फिर लहराने लगी फसलें
जालौन के उरई नगर के रहने वाले वरुण सिंह इस समय जालौन के कई गांवों में पिछले 5 सालों से जल संगठन, पानी पंचायत, ग्राम जलागम समिति, महिला मंडल, वर्षा जल संरक्षण के सहारे पानी का मर्यादित उपयोग कैसे करना है. इसको समझा रहे हैं. अपने इसी कार्य के दौरान उन्होंने जालौन के रगोली गांव में नाबार्ड की सहायता से एक चेकडैम का निर्माण कराया, जिसके बाद से यहां के किसानों को काफी हद तक फायदा पहुंचा है. इस इलाके की लगभग 110 एकड़ की असिंचित भूमि फिर से लहलाने लगी और यहां के किसान काफी खुश नजर आ रहे हैं है.
वरुण ने चेकडैम निर्माण के पहले खेतों में मेड बंद करना शुरु कर दी ताकि खेतों का पानी खेतों में ठहर सके और भूमि में नही मौजूद रहे. इसके बाद चेकडैम का निर्माण कराया जिससे अब इस इलाके में पानी की समस्या दूर हुई और बंजर खेत फिर से हरे भरे होने लगे. इस दौरान गांव के किसानों ने बताया कि पहले पानी की काफी दिक्कत हुआ करती थी. इस वजह से खेती करना असंभव था लेकिन चेकडैम के निर्माण होने के बाद खेतों तक पानी आसानी से पहुंच पा रहा है. फिलहाल वरुण की इस मुहिम का असर जिले के 55 गांवों में देखने को मिल रहा है.
वहीं, युवा समाजसेवी वरुण बताते है कि जिला प्रशासन और परमार्थ समाजसेवी संस्था के प्रयास से रगोली गांव में चेकडैम का निर्माण कराया गया है, यहां से नून नदी होकर गुजरती है. यहां पर खेतों में मेंड बंदी का काम कराया गया है जिससे गांव का पानी गांव में और खेतों का पानी खेतों में रहे. इस चेकडेम के निर्माण हो जाने से 110 एकड़ की असिंचित भूमि फिर से सिंचित हुई है. किसान खुशहाल है और इस प्रयास से कही न कही इस इलाके पलायन रुकेगा.