Gudi Padwa 2023: महाराष्ट्र में हिंदू नववर्ष गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है... गुड़ी पड़वा से जुड़ी अनेक मान्यताएं और परंपराएं हैं, जो इसे खास बनाती हैं... उत्तर भारत के राज्यों में लोग जहां नवरात्रि के पहले दिन व्रत रखते हैं, वहीं महाराष्ट्र में इस दिन गुड़ी पड़वा का त्योहार मनाया जाता है... इस दिन नया घर खरीदना, नया वाहन खरीदना बहुत ही शुभ मानते हैं....
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Gudi Padwa 2023: आज से हिंदू नववर्ष की शुरुआत हो रही है. गुड़ी पड़वा महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है. गुड़ी पड़वा को संवत्सर पड़वो के नाम से भी जाना जाता है. दक्षिण भारत के लोग इसे उगादी पर्व भी कहते हैं. यह हिंदू नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है और चैत्र महीने के पहले दिन पड़ता है, जो आमतौर पर मार्च के अंत या अप्रैल की शुरुआत में पड़ता है. गुड़ी पड़वा को संपत्ति या नया घर खरीदने का भी शुभ समय माना जाता है. आइए जानते हैं गुड़ी पड़वा का महत्व और पूजा विधि के बारे में.
गुड़ी का अर्थ है पताका
बता दें कि गुड़ी का अर्थ विजय पताका है. इस दिन सुख-समृद्धि की प्रार्थना करते हुए घरों में विजय पताका फहराया जाता है. महाराष्ट्र समेत इस पर्व को कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में धूमधाम से मनाया जाता है. गुड़ी पड़वा, मराठी नया साल, लोगों के लिए नई शुरुआत और आशा की भावना लाता है. मुख्य रूप से यह पर्व महाराष्ट्र राज्य में मनाया जाता है, गुड़ी पड़वा या उगादी अगले फसल वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है. गुड़ी पड़वा चैत्र के पहले दिन मनाया जाता है.
गुड़ी पड़वा तिथि -22 मार्च
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि आरंभ: 21 मार्च 2023- दिन मंगलवार, रात्रि 10: 52 मिनट से
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि समाप्त: 22 मार्च 2023- दिन बुधवार, रात्रि 08: 20 मिनट पर
उदयतिथि के अनुसार 22 मार्च 2023 को गुड़ी पड़वा है.
गुड़ी पड़वा का शुभ मुहूर्त
गुड़ी पड़वा पूजा मुहूर्त
सुबह-06 बजकर 29 मिनट से प्रातः 07: 39 मिनट तक
गुड़ी पड़वा का महत्व
हिंदू धर्म में गुड़ी पड़वा एक विशेष महत्व रखता है. ऐसा माना जाता है कि गुड़ी को घर पर फहराने से घर से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और जीवन में सुख- समृद्धि आती है.यह दिन वसंत की शुरुआत का भी प्रतीक माना जाता और इसे फसल उत्सव के रूप में माना जाता है. कई लोगों का मानना है कि इस दिन सोना या नई कार खरीदना शुभ होता है. इस उत्सव को कई अन्य राज्यों में संवत्सर पड़वो, उगादि, उगादी,चेती, नवरेह, साजिबू नोंगमा पानबा चीरोबा आदि नामों से जाना जाता है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन ब्रह्मा जी की उपासना करने से साधकों को विशेष लाभ मिलता है. उनकी पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं.
कैसे मनाते हैं गुड़ी पड़वा?
गुड़ी पड़वा के दिन बहुत से कार्य किए जाते हैं. इस दिन झंडा, या गुड़ी, घर के सामने फहराया जाता है, और द्वार पर रंग-बिरंगी रंगोली बनाई जाती है. ध्वज को पीले रेशमी आभूषणों, फूलों और आम के पेड़ के पत्तों से सजाया जाता है. इसके ऊपर सिंदूर और हल्दी से बना एक शुभ स्वास्तिक बनाया जाता है. इस दिन ज़रूरतमंद लोगों को पानी के साथ अन्य वस्तुएं दान देनी चाहिए.
भगवान श्रीराम से जुड़ी है गुड़ी पड़वा की कथा
गुड़ी पड़वा से जुड़ी वैसे तो कई कथाएं प्रचलि हैं. इन सभी कथाओं में भगवान श्रीराम से जुड़ी कथा सबसे ज्यादा प्रचलित है.त्रेता युग के समय दक्षिण भारत के किष्किंधा में वानरों के राजा बालि का शासन चलता था. जब भगवान श्रीराम अपनी पत्नी सीता की खोज करते वहां गए तो उनकी दोस्ती बालि के छोटे भाई सुग्रीव से हुई. सुग्रीव ने श्रीराम को बालि के कुशासन और अत्याचारों के बारे में बताया. तब श्रीराम ने बालि का वध कर वहां की प्रजा को बालि के आतंक से मुक्ति दिलाई. उस दिन किष्किंधा को लोगों ने जीत की खुशी में विजय पताका फहराई. तभी से ये पर्व मनाया जा रहा है.
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