Prayagraj News: इलाहाबाद हाईकोर्ट एक मामले में दोबारा कोर्ट में आने को विवश करने पर सरकार पर 10 हजार का हर्जाना लगाया है. कोर्ट ने कहा है कि सरकार अपनी बात से मुकर नहीं सकती. याची के पक्ष में कोर्ट का फैसला होने के बाद भी नियुक्ति न देने पर दोबारा हाईकोर्ट आने को विवश करने के लिए 10 हजार रुपये हर्जाना भी लगाया है.
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मोहम्मद गुफरान/प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट एक मामले में दोबारा कोर्ट में आने को विवश करने पर सरकार पर 10 हजार का हर्जाना लगाया है. कोर्ट ने कहा है कि सरकार अपनी बात से मुकर नहीं सकती. सरकार ने कोर्ट में कहा कि ग्राम विकास अधिकारी पद के लिए ट्रिपल सी प्रमाणपत्र अनिवार्य अर्हता नहीं है. फिर वह चयनित अभ्यर्थी को इस आधार पर नियुक्ति देने से इंकार नहीं कर सकती कि याची ट्रिपल सी योग्यता नहीं रखती.
कोर्ट ने नियुक्ति करने का दिया निर्देश
दरअसल, कोर्ट ने आयुक्त ग्राम विकास विभाग द्वारा याची की नियुक्ति की मांग अस्वीकार करने को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है. साथ ही दो हफ्ते में याची की नियुक्ति करने का निर्देश दिया है. याची के पक्ष में कोर्ट का फैसला होने के बाद भी नियुक्ति न देने पर दोबारा हाईकोर्ट आने को विवश करने के लिए 10 हजार रुपये हर्जाना भी लगाया है. जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की एकलपीठ ने खुशबू कुमारी गुप्ता की याचिका को स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया है.
यह है पूरा मामला
आपको बता दें कि याची उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ग्राम विकास अधिकारी भर्ती 2016 में लिखित परीक्षा और शारीरिक दक्षता टेस्ट में सफल घोषित हुई. बावजूद इसके यह कहते हुए साक्षात्कार में नहीं बुलाया कि वह ट्रिपल सी की अर्हता नहीं रखती. जिसके खिलाफ उनकी याचिका खारिज हो गई तो उन्होंने विशेष अपील दाखिल की. सरकार की तरफ से कहा गया कि ग्राम विकास अधिकारी, सेवा नियमावली के तहत पद की योग्यता इंटरमीडिएट या समकक्ष डिग्री है. ट्रिपल सी अनिवार्य अर्हता नहीं है.
कोर्ट ने साक्षात्कार लेने का दिया निर्देश
जिसके बाद हाई कोर्ट की खंडपीठ ने याची का साक्षात्कार लेकर परिणाम से अवगत कराने का आदेश दिया है. याची को साक्षात्कार के बाद सफल घोषित कर आयोग ने आयुक्त को नियुक्ति करने की संस्तुति की है. पालन न करने पर अवमानना याचिका पर कहा, खंडपीठ ने नियुक्ति का निर्देश नहीं दिया है. खंडपीठ के आदेश की वापसी की अर्जी भी दाखिल की जो खारिज हो गई. याची ने प्रत्यावेदन दिया कि उसे नियुक्त किया जाए, जिसे ट्रिपल सी न होने के कारण खारिज कर दिया गया, तो दोबारा याचिका दायर की गई.
याची ने दिया ये तर्क
इस मामले में याची का तर्क था कि कोर्ट में सरकार के यह मानने के बाद कि ट्रिपल सी अनिवार्य अर्हता नहीं है. तब कोर्ट ने याची की नियुक्ति का आदेश दिया है. वहीं, सरकार ने आदेश वापस लेने की अर्जी दी. जिससे दिग्भ्रमित मानते हुए खारिज कर दिया गया और पहले का आदेश ही अंतिम हो गया. जिसे सरकार ने चुनौती नहीं दी. जिस पर कोर्ट ने साफ कहा कि सरकार अपनी बात से मुकर नहीं सकती. इस मामले में कोर्ट ने नियुक्ति का आदेश दिया है.
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