Agnipath Scheme के खिलाफ दिल्ली HC में दायर याचिका खारिज, कहा- स्कीम राष्ट्रहित में, कोर्ट के दखल का कोई औचित्य नहीं
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Agnipath Scheme के खिलाफ दिल्ली HC में दायर याचिका खारिज, कहा- स्कीम राष्ट्रहित में, कोर्ट के दखल का कोई औचित्य नहीं

अग्निपथ येजना के खिलाफ याचिका दायर की गई थी. इन याचिकाओं को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि ये स्कीम राष्ट्रहित में है. कोर्ट का कहना है कि ये स्कीम राष्ट्र हित में और सेना को बेहतर बनाने के लिए लाई गई है. इसमें कोर्ट के दखल का कोई औचित्य नहीं बनता.

Agnipath Scheme के खिलाफ दिल्ली HC में दायर याचिका खारिज, कहा- स्कीम राष्ट्रहित में, कोर्ट के दखल का कोई औचित्य नहीं

नई दिल्ली: अग्निपथ येजना के खिलाफ याचिका दायर की गई थी. इन याचिकाओं को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि ये स्कीम राष्ट्रहित में है. कोर्ट का कहना है कि ये स्कीम राष्ट्र हित में और सेना को बेहतर बनाने के लिए लाई गई है. इसमें कोर्ट के दखल का कोई औचित्य नहीं बनता. दरअसल, हाई कोर्ट ने उन याचिकाओं को भी खारिज कर दिया, जिनमें कहा गया था कि जो लोग पहले से सैन्य बलों की नौकरी पाने की प्रक्रिया में हैं, उनके ऊपर ये योजना लागू नहीं की जानी चाहिए. आइए बताते हैं सरकार ने पूरे मामले में क्या पक्ष रखा.

अग्निपथ स्कीम को लेकर सरकार ने कोर्ट में रखा पक्ष
आपको बता दें कि केन्द्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट में इस बाबक जवाब दाखिल किया. जवाब देते हुए कहा गया कि अग्निपथ स्कीम आर्म्ड फोर्सेज की भर्ती प्रकिया में एक क्रांतिकारी बदलाव है. बदलती सैन्य जरूरतों के मुताबिक देश के सुरक्षा तंत्र को और मजबूत, अभेद बनाने के लिए इस स्कीम को लाया गया है. देश के आंतरिक और बाहरी खतरों के मद्देनजर युवा, चुस्त और तकनीकी रूप से दक्ष आर्म्ड फोर्सेज वक़्त की जरूरत है. इस योजना के सहारे तीनों सेनाओं का स्वरूप और अधिक युवा हो जाएगा. इससे सैनिकों की औसत उम्र 32 साल से घटकर 26 साल तक पहुंच जाएगी.

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा- कोर्ट के दखल का औचित्य नहीं
दरअसल, इस मामले में सरकार का कहना है कि दूसरी सरकारी नौकरियों की तुलना में सैन्यबलों में भर्ती प्रकिया का मसला अलग है. वहीं, राष्ट्र की सुरक्षा, अखंडता सुनिश्चित करने के मद्देनजर आर्म्ड फोर्सेज में भर्ती प्रकिया के बारे में फैसला लेना या बदलाव करना सरकार का नीतिगत मसला है. कोर्ट को इसमें दखल नहीं देना चाहिए. इस स्कीम को जल्दबाजी में नहीं लागू किया है. स्कीम को लागू करने से पहले तमाम स्टेकहोल्डर्स से विचार विमर्श के बाद इसे लागू किया गया है.

सरकार से कोर्ट ने किए सवाल
मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा कि उन 75 फीसदी युवाओं को लेकर सरकार के पास क्या प्लान है? वो अग्निवीर जो 4 साल तक अपनी सेवा देने के बाद सेना में भर्ती नहीं हो पाएंगे. कोर्ट ने कहा कि ये लोग हथियार चलाने में तो दक्ष होंगे, लेकिन चार साल बाद बेरोजगार हो जाएंगे.

दिल्ली हाई कोर्ट के इस सवाल का जवाब देते हुए केन्द्र सरकार की तरफ से एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि अग्निवीरों को सेंट्रल आर्म्ड फोर्सज में 10 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा. इसके अलावा रेलवे की नौकरियों में 5 फीसदी और आरपीएफ की नौकरियों में 10 फीसदी का आरक्षण दिया जाएगा. इतना ही नहीं मिनिस्ट्री ऑफ स्किल डेवलपमेंट के जरिए उन्हें रसोइए, हेयर ड्रेसर और टेलर के रूप में काम करने के लिए ट्रेनिंग भी दी जाएगी.

इसके बाद कोर्ट ने पूछा कि जब एक अग्निवीर सैनिक की तरह ही सेवा दे रहा है, तो उसे सैनिक के मुकाबले कम वेतन देने का क्या औचित्य? इस सवाल का जवाब देते हुए एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि अग्निवीर का काम एक सैनिक की तरह नहीं है. दोनों की जिम्मेदारी अलग अलग है. अग्निवीर एक अलग कैडर है. ऐसा इसलिए क्योंकि उनके भारतीय सशस्त्र बलों के साथ 4 साल के कार्यकाल को आर्मी नेवी या फिर एयरफोर्स में रेगुलर सर्विस के तौर पर नहीं माना जाएगा. 

वहीं, चार साल सेवा देने के बाद अगर किसी अग्निवीर को सेना में शामिल किया जाता है, तो उसे नई भर्ती के तौर पर ही माना जाएगा. ऐसा इसलिए क्योंकि अग्निवीर के तौर पर उसकी ट्रेनिंग बेसिक होती है, जबकि सेना में सैनिक के तौर पर भर्ती होने पर कहीं ज्यादा बड़ी ट्रेनिंग दी जाती है. उन्होंने कहा कि अगले 10 -15 साल के बाद सेना में कोई ऐसा सैनिक रहेगा ही नहीं, जिसने अग्निवीर के तौर पर सेवाएं न दी हो.

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