गुजरात के मोरबी में पुल गिरने से हुए हादसे के बाद अब यूपी में पुराने पुल की मरम्मत की मांग तेज हो रही है. कुशीनगर में ऐसा ही एक जर्जर पुल हादसे को दावत दे रहा है.
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प्रमोद कुमार/कुशीनगर: गुजरात के मोरबी में हादसे के बाद उत्तर प्रदेश में भी पुराने पुलों खासकर अंग्रेजों के जमाने के जर्जर पुलों की स्थिति जांचने का काम तेज हो गया है.यूपी में कई ऐसे पुल हैं, जिनकी जांच जरूरी है. उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के हेतिमपुर में अंग्रेजों के जमाने का छोटी गंडक नदी पर बना पुल भी इसी लिस्ट में है. यह पुल देवरिया से जुड़ता है. पुल से आसपास के गांव और कस्बों के हजारों लोगों की रोज आवाजाही होती है. यह पुल अंग्रेजों ने 1904 में बनाया था. 118 साल पुराने इस पुल से होकर गुजरना जान जोखिम में डालने जैसा है.
यह पुल देवरिया जिले की सीमा में स्थित हेतिमपुर के पुराने बाजार और कुशीनगर जिले की सीमा में भैसहां सदरटोला में बना है. इसके बीच छोटी गंडक नदी पर बना यह पुल अंग्रेजों के जमाने का है. पहले दोनों जिलों के बीच आपसी संपर्क का यह एकमात्र मार्ग था. बाद में लगातार हो रहे हादसों की वजह से बाईपास बन गया और राष्ट्रीय राजमार्ग 28 पर इस पुल के समानांतर एक और पुल बना. इसके ठीक सटे फोरलेन बनने के समय एक और पुल बना, लेकिन उन पुलों का उपयोग केवल तेज रफ्तार की गाड़ियों तक ही सीमित है. दोनों बाजारों और दर्जन भर गांवों के लोगों का आवागमन पुराने पुल से ही होता है.
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पुल के पास लगता है मेला
स्थानीय लोगों की माने इस पुल पर उस वक्त खतरा बना रहता है, जब नदी के किनारे किसी भव्य मेले का आयोजन होता है. ऐसे समय में हजारों की संख्या में इस पुल पर लोग आते हैं और आयोजन का आनंद इस पुल पर खड़े हो कर लेते हैं. कई आयोजन में घटनाएं भी हुईं और लोगो को जान भी गंवानी पड़ी. हादसे की वजह रेलिंग के जर्जर होना बताया गया है. मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने जर्जर पुल का संज्ञान भी लिया और मरम्मत भी करवाया है लेकिन यह पुल पुनः जगह जगह टूटने लगा है. ऐसे में अगर समय रहते इस पुल को लेकर सरकार उचित निर्णय नही लेती है तो शायद हेतिमपुर घाट पर बना यह अग्रेजों द्वारा बनवाया गया पुल कहीं किसी बड़े हादसे को दावत न दे दे.
बरेली में भी जर्जर पुल
बरेली में किला नदी पर बने पुल भी सेतु निगम की लापरवाही का शिकार हो रहा है. आलम ये है कि जगह-जगह पुल जर्जर हो चुका है लेकिन आला अधिकारी अनजान बने बैठे हैं. इसकी दीवारों पर पौधे उग आए हैं और दीवारें टूट चुकी हैं. किनारे कब वाहन चला जाए, पता नहीं रहता है. इससे गुजरने वाले लोगों का कलेजा कांपने लगता है. बावजूद इसके पुल की मरम्मत का काम नहीं कराया जा रहा है. सेतु निगम के एस्टीमेट बनाने के बावजूद शासन से स्वीकृति नहीं मिली है.