Subrata Roy Family: सहारा श्री सुब्रत रॉय ने अकूत दौलत इकट्ठा की, हजारों दोस्त बनाए, लेकिन जब मौत आई तो कोई अपना भी उनके साथ न था. बताया जाता है कि सहारा के बेटे और बीवी सब उस वक्त विदेश में थे.
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Subrata Roy Family: सुब्रत रॉय सहारा ने एक स्कूटर से कारोबारी सफर शुरू किया और हजारों करोड़ के सहारा समूह के साथ बुलंदियों के शिखर पर पहुंचे. लेकिन मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में जब मंगलवार रात उन्होंने अंतिम सांस ली तो कोई भी उनके पास नहीं था. अंतिम संस्कार में भी उनके बेटे शामिल नहीं हो पाए. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सुब्रत रॉय का अंतिम संस्कार लखनऊ में किया गया और पोते हिमांक रॉय ने उन्हें मुखाग्नि दी थी. सुब्रत रॉय के दोनों बेटे सुशांतो रॉय और सीमांतो रॉय अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुए.
बताया गया कि सुब्रत रॉय की पत्नी स्वप्ना रॉय से उनके बेटों के न आने के सवाल पर कहा कि वो विदेश में हैं और कुछ वजहों से यात्रा नहीं कर पाए. लिहाजा लंदन से पोते हिमांक को आनन-फानन में बुलाया गया. हिमांक भी सुब्रत रॉय के बेटे सीमांतो के बेटे हैं. सुब्रत रॉय के अंतिम संस्कार में यूपी के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और पूर्व सीएम अखिलेश यादव भी पहुंचे थे.
सुब्रत रॉय लगभग दो महीने पहले इलाज के लिए मुंबई गए थे. उनके परिवार में पत्नी स्वप्ना राय और दो बेटे सुशांतो और सीमांतो हैं, लेकिन ये सभी विदेश में हैं. चिटफंड घोटाले के बाद अमिताभ बच्चन, मुलायम सिंह यादव के परिवार और अन्य तमाम करीबियों ने भी उनसे दूरी बना ली.
सहारा समूह का कारोबार लखनऊ, मुंबई से लेकर कभी दुबई तक फैला था, लेकिन रियल एस्टेट सेक्टर में हाथ आजमाने के बाद उनका बुरा दौर शुरू हो गया. फिर सेबी विवाद सामने आया. उन पर जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा दूसरी कंपनियों में ट्रांसफर करने और खर्च करने से वो विवादों में घिर गए.
इसके बाद बाजार नियामक सेबी ने सहारा की कंपनियों में जमा निवेशकों की पूंजी को नियमों को ताक पर रखते हुए दूसरी कंपनियो में ट्रांसफर करने पर दोषी पाया. उन्हें निवेशकों का लगभग 24 हजार करोड़ रुपये जमा कराने का आदेश दिया गया. हालांकि सहारा समूह इस मामले को अदालत में घसीटता रहा और यह केस सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. शीर्ष अदालत के पैसा जमा करने का आदेश का पालन न करने पर उन्हें जेल भेजा गया.सहारा समूह की संपत्तियों की बिक्री पर रोक लगाई गई. रिसीवर बैठा दिया गया.
कोर्ट के आदेश पर जिन संपत्तियों की बिक्री का आदेश था, उनका पैसा भी सहारा ग्रुप को सेबी के पास जमा कराना था. सहारा ने शुरुआत में सेबी को जमा राशि का एक हिस्सा दिया, लेकिन पूरी रकम जमा नहीं की. सहारा ग्रुप की कंपनियों और निदेशकों पर यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में सैकड़ों केस दर्ज हुए. पुलिस भी लंबे समय तक सुब्रत राय और अन्य आरोपियों को खोज नहीं पाई.सहारा समूह ने जब रकम का अधिकांश हिस्सा जमा किया और मां की तबियत खराब होने के बाद उन्हें पैरोल पर रिहा किया गया.
केंद्र सरकार ने सहारा निवेशकों की रकम वापसी के लिए पोर्टल प्रारंभ किया है. सहारा ग्रुप के पास मौजूदा दौर में देश के कई शहरों में लाखों करोड़ की संपत्तियां हैं. इनकी कीमत 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक बताई जाती है.
सुब्रत रॉय सहारा ने एंबी वैली सिटी(Aamby Valley City), सहारा मूवी स्टूडियोज(Sahara Movie Studios), एयर सहारा(Air Sahara), उत्तर प्रदेश विजार्ड्स,फिल्मी जैसे कई प्रोजेक्ट्स से सुर्खियां बटोरीं. सबसे पहले उन्होंने 1976 में चिटफंड कंपनी के तौर पर कारोबार शुरू किया, लेकिन पीयरलेस ग्रुप जैसी कंपनियों को पीछे छोड़ते हुए सहारा का ये बिजनेस मॉडल गली गली में छा गया. तब सहारा इंडिया परिवार के देश में 5 हजार से ज्यादा सेंटर थे, 12 लाख की संख्या में कलेक्शन एजेंट थे.
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