BSP Supremo Mayawati: आज भले ही मायावती की बसपा राजनीतिक रूप से कितनी भी कमजोर नजर आती हों, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि मायावती भारतीय राजनीति में एक ऐसा सितारा है जो काफी संघर्षों के बाद इस शिखर पर पहुंचा.
मायावती एक साधारण परिवार की बेटी है.मायावती का जन्म 15 जनवरी 1956 में गौतम बुध नगर के बादलपुर गांव में हुआ था. बसपा चीफ मायावती भले ही आज राजनीति का बड़ा नाम हो पर उनका बचपन बहुत संघर्षों भरा रहा है. वह बचपन में आईएएस बनना चाहती थीं.
मायावती के पिता प्रभु दास गौतम बुद्ध नगर में दादरी के पास बादलपुर गाँव में एक डाकघर के कर्मचारी थे. मायावती के 6 भाई थे और 2 बहनें थीं. अपने भाई-बहनों में बसपा सुप्रीमो मायावती पढ़ने में सबसे तेज थी.
आइए जानते हैं कि कैसे एक दलित समाज में जन्मी एक लड़की कैसे राजनीति के शिखर तक पहुंचती है.कैसे परिवार के विरुद्ध जाकर सियासी ककहरा सीखती हैं और सूबे के मुख्यमंत्री के पद पर विराजती हैं.
मायावती ने अपने करियर की शुरुआत एक टीचर के तौर पर की थी.मायावती दिल्ली के सरकारी प्राइमरी स्कूल में पढ़ाती थीं. मायावती बचपन से ही प्रशासनिक सेवा में जाने का सपना देखा करती थी. शिक्षक से राजनीति तक का सफर उनके लिए आसान नहीं था.
वह शुरू में बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर से काफी प्रभावित थीं.वह टीचर की नौकरी छोड़ने के बाद राजनीति में आईं.पिता को राजनीति पसंद नहीं थी और मायावती ने अपना घर छोड़ दिया.
बात साल 1977 की है जब कांशीराम और मायावती की मुलाकात हुई थी.कांशीराम मायावती के घर पर आए थे. मायावती के विचारों से कांशीराम बहुत प्रभावित थे. 1984 में बसपा की स्थापना की तो उन्होंने मायावती को भी शामिल कर लिया.
कांशीराम ने भी सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति शुरू की थी.वह साल 1958 में पुणे में डीआरडीए में लैब असिस्टेंट के पद पर कार्यरत थे. एक घटना के बाद वो दलित राजनीति की तरफ मुड़ गए.
15 दिसंबर 2001 को लखनऊ की एक रैली के दौरान अपने संबोधन में कांशीराम ने मायावती को अपना उत्तराधिकारी बताया. वह 18 सितंबर 2003 को अपने पहले कार्यकाल के लिए बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनी गईं. 27 अगस्त 2006 को वह लगातार दूसरी बार निर्विरोध चुनी गईं.
मायावती दलितों की आवाज बनने का सपना लिए यूपी की राजनीति में उतर गईं.वह चार बार यूपी की मुख्यमंत्री बनीं. मायावती 3 जून साल 1995 में पहली बार यूपी की मुख्यमंत्री बनीं. वह यूपी की सबसे युवा महिला सीएम थीं. 1997 में और 2002 में उत्तर प्रदेश की सीएम बनीं. 2001 में कांशीराम ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित किया.
बहुजन समाज पार्टी की आज राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक है,जिसमें पार्टी के अध्यक्ष का चुनाव होना है.मायावती को एक बार फिर से बसपा प्रमुख चुना जाना तय है.वह पहली बार 2003 में बसपा अध्यक्ष बनी थीं.आइए नजर डालते हैं उनके सियासी सफर पर.