MP Assembly Election Results 2023: एमपी चुनाव में बीजेपी फिर बहुमत की ओर, कांग्रेस की उम्मीदों को लगा झटका
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MP Assembly Election Results 2023: एमपी चुनाव में बीजेपी फिर बहुमत की ओर, कांग्रेस की उम्मीदों को लगा झटका

MP Assembly Election Results 2023: मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कमल खिलेगा या फिर कमलनाथ कमाल दिखाएंगे, इस नतीजे को लेकर अब इंतजार की घड़ियां समाप्त होने वाली है.. क्या बीजेपी के सत्ता में आने पर शिवराज को कमान मिलेगी.ये सवाल भी है कि क्या कांग्रेस कमलनाथ की जगह जीतू पटवारी जैसे किसी युवा को कमान सौंपेगी.

MP Assembly Election Results 2023: एमपी चुनाव में बीजेपी फिर बहुमत की ओर, कांग्रेस की उम्मीदों को लगा झटका

MP Assembly Election Results 2023: मध्यप्रदेश में बीजेपी की सरकार बनेगी या कांग्रेस  सत्ता पर काबिज होगी, इसका खुलासा 3 दिसंबर को हो जाएगा.  लेकिन परिणाम से पहले आए एग्जिट पोल ने बीजेपी और कांग्रेस की बेचैनी जरूर बढ़ा दी है.  गुरुवार को आए ज्यादातर एग्जिट पोल में बीजेपी की सरकार बनती दिख रही है, जबकि कुछ सर्वे कांग्रेस की वापसी का अनुमान जता रहे हैं. 8 एग्जिट पोल में से 4 बीजेपी की सत्ता में वापसी, जबकि 3 पोल कांग्रेस की सरकार बना रहे हैं, जबकि एक पोल सत्ता के करीब बता रहे हैं. इन एग्जिट पोल के अनुमान अगर नतीजों में बदले, तो फिर भाजपा का मध्यप्रदेश में दबदबा बना रहेगा और कांग्रेस की सत्ता में वापसी की सभी कोशिशें नाकाम हो जाएंगी. प्रदेशवासियों के साथ-साथ अब पूरे देश की निगाहें 3 दिसंबर की तारीख़ पर टिकी हैं, जब काउंटिंग शुरू होते ही प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला हो जाएगा.

पहली बार कमलनाथ कब बने मुख्यमंत्री
सांसद रहते हुए कांग्रेस नेता कमलनाथ ने साल 2018 के मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. 43 सालों से छिंदवाड़ा जिले की राजनीति कर देश विदेश में पहचान कायम करने वाले कमलनाथ के लिए इलाके में अभी नहीं तो कभी नहीं का नारा केवल नारा ही नहीं बल्कि पूरी राजनीति दांव पर लगी है.

कमलनाथ का राजनीतिक करियर

9 बार लोकसभा सांसद
1991-1995 केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पर्यावरण एवं वन
1995-1996 केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) वस्त्र
2004 से 2009 तक केंद्रीय मंत्री वाणिज्य एवं उद्योग
2009 से 18 जनवरी 2011 तक केंद्रीय मंत्री सडक परिवहन और राजमार्ग
19 जनवरी 2011 से 26 मई, 2014 तक केंद्रीय मंत्री स शहरी विकास
28 अक्टूबर, 2012 से 26 मई, 2014 तक केंद्रीय मंत्री संसदीय कार्य रहे.
2001 से 2004 महासचिव, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
4 से 6 जून 2024 तक सामयकि अध्यक्ष लोकसभा

इतनी बार शिवराज सिंह बने सीएम
शिवराज सिंह चौहान 29 नवंबर 2005 को पहली बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे. इसके बाद से लगातार वो 2018 तक एमपी के सीएम बने रहे. उन्होंने अपना 3  कार्यकाल पूरा किया. 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद कमलनाथ ने सीएम पद की शपथ ली थी. लेकिन जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जब विधायकों के साथ बीजेपी ज्वाइन की तो उसके बाद शिवराज फिर से सीएम बनाए गए.

पहली बार बने विधायक
1984-85 में शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश में बीजेपी मोर्चा के संयुक्त सचिव 1985 में बनाए गए. इसके बाद वे संगठन के लिए लगातार काम करते रहे और 1988 तक इस पद पर बरकार रहे. वर्ष 1988 में उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. इसके बाद शिवराज सिंह ने 1991 तक इस पद को संभाल रखा. इसी दौरान 1990 के विधानसभा चुनाव के दौरान शिवराज ने बुधनी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और पहली बार विधायक बने.  इसके अलावा शिवराज सिंह पांच बार सांसद भी चुने जा चुके हैं.

 

भाजपा के लिए कड़ी चुनौती जीतू पटवारी
सभी 230 सीटों के लिए दूसरे राज्यों के प्रभारियों को जिम्मेदारी दी गई थी.ये सवाल उठ रहा है कि क्या कांग्रेस 77 साल के कमलनाथ को सीएम बनाएगी या फिर जीतू पटवारी जैसे किसी युवा को कमान सौंपेगी. इंदौर की राऊ सीट पर भाजपा के लिए कड़ी चुनौती मानी जा रही है.  यहां पिछले दो चुनाव से जीतते आ रहे जीतू पटवारी कांग्रेस की ओर से तो वहीं बीजेपी की ओर से मधु वर्मा चुनावी मैदान में हैं. इंदौर की राऊ विधानसभा पर पिछले दो चुनावों से कांग्रेस का कब्जा रहा है.  यहां से जीतू पटवारी विधायक हैं. वे कमल नाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं.

मोदी फैक्टर का भी अहम रोल
बीजेपी ने एमपी में शिवराज को आगे करने की बजाय पार्टी और पीएम मोदी की नीतियों को आगे रखकर चुनाव लड़ा. अगर एग्जिट पोल के अनुमान सहीं होते हैं, तो बीजेपी की इस जीत में मोदी फैक्टर का भी अहम रोल माना जाएगा. बीजेपी चुनाव में मोदी का नाम और काम को लेकर उतरी थी. पीएम नरेंद्र मोदी ने ताबड़तोड़ 14 रैलियां की.  पीएम मोदी ने एमपी के हर इलाके में जनसभाएं कीं. इसके अलावा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने चुनावी रणनीति की कमान संभाले हुई थी. केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को  उन्होंने राज्य का प्रभारी बनाया.  इतना ही नहीं चुनावी जनसभाओं के ज्यादा बैठकें करके नाराज नेताओं को मनाया, जिसका फायदा भी मिलता दिखाई दे रहा है. इस तरह से केंद्रीय नेतृत्व की रणनीति बीजेपी की जीत की अहम वजह मानी जा रही है.

एग्जिट पोल के नतीजों में मुख्यमंत्री पद के लिए अलग-अलग एग्जिट पोल में सीएम शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे लोकप्रिय चेहरा बनकर उभरे हैं. इस एग्जिट पोल में 36 फीसदी लोगों ने मुख्यमंत्री पद के लिए शिवराज को अपनी पहली पसंद बताया है. शिवराज के बाद दूसरे नंबर पर कमलनाथ हैंजो सीएम के लिए 30 फीसदी लोगों की पहली पसंद हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया को तीन फीसदी लोग सीएम बनते देखना चाहते हैं. दिग्विजय सिंह को एक फीसदी लोग हैं.

हाशिये पर रहे शिवराज सिंह
बीजेपी ने एमपी चुनाव प्रचार में अपने पूरे चुनावी अभियान में शिवराज सिंह चौहान को हाशिये पर रखा था. पीएम मोदी ने अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्री के कामों को मजबूत तरीके से नहीं उठाया.  वे लगातार केंद्र सरकार के कार्यों का उल्लेख करते रहे.  इस चुनाव प्रचार की पूरी रणनीति भी अमित शाह और उनके भरोसेमंद लोगों के हाथों में रही. पार्टी ने सीएम पद के फेस का खुलासा नहीं किया.  ये इस बात का इशारा है कि पार्टी राज्य में नेतृत्व परिवर्तन कर पार्टी की कमान नई पीढ़ी के हाथों में देने का मन बना चुकी है.

BJP के इन दिग्गजों पर भी रहेगा फोकस
मध्यप्रदेश बीजेपी के हैवीवेट नेताओं की बात करें तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ-साथ नरेन्द्र सिंह तोमर, प्रह्लाद सिंह पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते पर विशेष नजर बनी हुई है क्योंकि इन तीन केन्द्रीय मंत्री को विधानसभा चुनाव में कैंडीडेट बनाया गया है. भाजप के हैवीवेट लीडर्स में सांसद राकेश सिंह, गणेश सिंह, राव उदय प्रताप सिंह, रीति पाठक को भी पार्टी ने टिकट दिया और चुनावी अखाड़े में उतारा है. इसके साथ ही बीजेपी संगठन के बड़े चेहरे कैलाश विजयवर्गीय पर भी पार्टी ने एकबार फिर से दांव लगाया. कैलाश को मालवा की इंदौर-1 विधानसभा सीट से उतारा है.

मुरैना की दिमनी सीट से तोमर
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बुधनी विधानसभा क्षेत्र से ताल ठोकी. केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को इस बार मुरैना की दिमनी सीट से उतारा गया है. नरेंद्र सिंह ग्वालियर से दो बार विधायक और एक बार सांसद रह चुके हैं. नरेंद्र सिंह अभी मुरैना से सांसद भी हैं. 

नरसिंहपुर से प्रह्ललाद सिंह पटेल, मंडला से फग्गन सिंह कुलस्ते
बीजेपी ने प्रहलाद सिंह पटेल को महाकौशल की नरसिंहपुर सीट से चुनाव लड़ाया है.  यहां से उनके भाई जालम सिंह सीटिंग विधायक हैं. प्रहलाद पटेल पहली बार विधानसभा चुनाव लड़े हैं. आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते भी इसी इलाके से आते हैं. फग्गन निवास सीट से उतारा गया है. फग्गन सिंह कुलस्ते 6 बार लोकसभा और 1 बार राज्यसभा सांसद रहे हैं.  वे अभी मंडला सीट से सांसद हैं.

ये भी हैं मैदान में...
बीजेपी ने जबलपुर से सांसद और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह और राव उदय प्रताप सिंह को भी विधानसभा में उतारा है.  राकेश सिंह, जबलपुर पश्चिम से तो होशंगाबाद सांसद राव उदय प्रताप सिंह को नरसिंहपुर की गाडरवारा सीट से चुनावी मैदान में उतारा. बघेलखंड की बात करें तो बीजेपी ने 4 बार के सांसद गणेश सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है.  उन्हें सतना विधानसभा चुनाव से टिकट दिया गया है. सीधी से सांसद रीति पाठक को सीधी विधानसभा से टिकट दिया गया है.

बीजेपी के इन दिग्गजों नेताओं को टिकट 
कमलनाथ-छिंदवाड़ा
गोविंद सिंह-लहार
अजय सिंह-चुरहट 
जीतू पटवारी-राऊ 
रामनिवास रावत-विजयपुर 
जयवर्धन सिंह-राघौगढ़ 
ओमकार सिंह मरकाम-डिंडौरी 

एक ही चरण में मतदान
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए मतदान एक ही चरण में 17 नवंबर को हो चुके हैं.  मध्यप्रदेश विधानसभा में कुल 230 सीटें हैं और बहुमत का आंकड़ा 116 है.  इस बार के चुनाव में बीजेपी ने विशेष रणनीति के मैदान में उतरा था और अपनी पार्टी के बड़े सांसदों को भी चुनावी अखाड़े में उतार दिया था.

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