Mayawati on Women Resrvation Bill : महिला आरक्षण विधेयक के खिलाफ यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश और बसपा सुप्रीमो मायावती ने मोर्चा खोल दिया है. दोनों ने पांच बड़ी मांगें रख दी हैं.
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Akhilesh Yadav on Women Resrvation Bill : महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) के खिलाफ उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मायावती ने मोर्चा खोल दिया है. मायावती ने कहा कि इस विधेयक के जरिये झूठा प्रलोभन दिया जा रहा है. आरक्षण जल्द लागू हो, इसकी व्यवस्था की जानी चाहिए.
अनुसूचित जाति औऱ अनुसूचित जनजाति का जो आरक्षण मिला है, उसमें बदलाव न किया जाए. बल्कि महिलाओं के 33 फीसदी आरक्षण के भीतर एससी-एसटी को अलग से आरक्षण दिया जाए. मायावती और अखिलेश दोनों ही अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी की महिलाओं को भी इसमें अलग से आरक्षण देने की बात कर रहे हैं.
वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा, नई संसद के पहले दिन ही सरकार ने ‘महाझूठ’ से पारी शुरू की है. आरक्षण के लिए जनगणना और परिसीमन के बिना महिला आरक्षण बिल लागू नहीं होगा. इसमें कई साल लग जाएंगे.
नयी संसद के पहले दिन ही भाजपा सरकार ने ‘महाझूठ’ से अपनी पारी शुरू करी है।
जब जनगणना और परिसीमन के बिना महिला आरक्षण बिल लागू हो ही नहीं सकता, जिसमें कई साल लग जाएँगे, तो भाजपा सरकार को इस आपाधापी में महिलाओं से झूठ बोलने की क्या ज़रूरत थी। भाजपा सरकार न जनगणना के पक्ष में है न…
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) September 20, 2023
गौरतल है कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम में यह प्रावधान है कि संसद और राज्यों की विधानसभा में महिला आरक्षण जनगणना और उसके बाद लोकसभा और विधानसभा सीटों के परिसीमन के हिसाब से कराया जाएगा. ऐसे में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के विधानसभा चुनाव या लोकसभा चुनाव 2024 में यह कोटा लागू नहीं हो पाएगा.
मायावती और अखिलेश दोनों ने ही मांग रखी है कि महिला आरक्षण बिल को तुरंत लागू कराया जाए. साथ ही इसमें ओबीसी महिलाओं के लिए एससी-एसटी के लिए अलग आरक्षण किया जाए. एससी-एसटी महिलाओं को जो आरक्षण दिया जा रहा है, वो मौजूदा आरक्षण से काटकर न दिया जाए, बल्कि महिला आरक्षण में उसे अलग कोटा मिले. जनगणना और परिसीमन होने तक आरक्षण को न रोका जाए.
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