AMU: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में स्थित अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का देश के प्रमुख शिक्षण संस्थानों में नाम आता है. आज हम बात करेंगे इस विश्व प्रख्यात विश्वविद्यालय के इतिहास और भारतीय संस्कृति में इसके महत्तवपूर्ण योगदान के बारे में. पढ़िए पूरी खबर...
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Aligarh News: उत्तर प्रदेश के तालों की नगरी के नाम से प्रसिध्द अलीगढ़ की पहचान सिर्फ तालों से ही नहीं बल्कि भारत के प्रमुख केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में से एक विश्वविद्यालय के नाम से भी इसकी पूरी दुनिया में एक अलग पहचान है. हम बात कर रहे हैं सन् 1920 में स्थापित हुए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की.
इतिहास
देश के प्रमुख शिक्षण संस्थानों में आने वाले अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना 24 मई 1920 को हुई थी. इसकी स्थापना 1920 में सर सैयद अहमद खान के कर कमलों द्वारा हुई थी. हालांकि बताया जाता है कि 1877 में सबसे पहले सर सैयद अहमद खान ने मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज की स्थापना की थी. इसके पीछे उनका मानना था कि मुसलमानों को भी आधुनिक शिक्षा मिलनी चाहिए. बाद में यही कॉलेज आगे चलकर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बना. भारत की आजादी के बाद देश में चार केंद्रीय विश्वविद्यालयों में से यह विश्वविद्यालय एक था. सर सैयद अहमद खां के मन में आधुनिक शिक्षा का विचार 1857 की क्रांति के बाद आया था. 1857 के क्रांति ने सर सैयद अहमद खान पर गहरा प्रभाव डाला था.
पाठ्यक्रम
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में शिक्षा के पारंपरिक और आधुनिक शाखा में करीब 250 से अधिक पाठ्यक्रम पढ़ाए जाते हैं. देश की इस केन्द्रीय विश्वविद्यालय में दुनिया के सभी कोनों से छात्र आते हैं. परंतु यह विश्वविद्यालय विशेष रूप से अफ्रीका, पश्चिमी एशिया और दक्षिणी पूर्व एशिया के छात्रों को अधिक आकर्षित करता है. विश्वविद्यालय के कुछ पाठ्यक्रमों में सार्क और राष्ट्रमंडल देशों के छात्रों के लिए भी सीटें आरक्षित हैं. यह विश्वविद्यालय हमेशा से सभी जाति, पंथ, धर्म या लिंग के छात्रों के लिए खुला हुआ रहा है.
विश्वविद्यालय कि लाइब्रेरी
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ( AMU ) की लाइब्रेरी भी एक अनूठी और कीमती है. आपको बता दें कि 1877 इस्वी में इस लाइब्रेरी की स्थापना हुई थी. पुस्तकालय का नाम मौलाना आजाद पुस्तकालय है. इसमें तकरीबन 13.50 लाख पुस्तकों के साथ दर्लभ रूप से मिलने वाले हस्तलिखित ग्रन्थविशेष भी मौजूद हैं.
लाइब्रेरी में मौजूद कुछ प्रमुख पुस्तकें एवं पांडुलिपियां:
यहां पर रखी इंडेक्स इस्लामिक्स की कीमत तकरीबन 12 लाख रुपये हैं.
लाइब्रेरी में फारसी पांडुलिपि का कैटलॉग भी रखा हुआ है.
साथ में यहां पर साढ़े चार लाख दुर्लभ पुस्तकें पांडुलिपिया व शोधपत्र ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं.
पुस्तकालय में अकबर के दरबारी फैजी के द्वारा फारसी में अनुवादित गीता भी यहां पर उपलब्ध है.
लाइब्रेरी में 400 साल पहले फारसी में अनुवादित हुई महाभारत की पांडुलीपि भी मिल सकती है.
लाइब्रेरी में तमिल भाषा में लिखे भोजपत्र भी शामिल हैं.
पुस्तकालय में 1400 साल पुरानी कुरान भी है.
सर सैयद द्वारा लिखीं पुस्तकें व पांडुलिपिया भी यहां पर उपलब्ध हैं.
साथ में यहां की लाइब्रेरी में जहांगीर के पेंटर मंसूर नक्काश ती अद्भुत पेंटिग भी देखी जा सकती हैं.
संग्रहालय
विश्वविद्यालय के मूसा डाकरी संग्रहालय में अनेक ऐतिहासिक महत्वपूर्ण वस्तुएँ हैं. साथ में ही सर सैयद अहमद का 27 देव प्रतिभाओं का कलेक्शन भी है. इस कलेक्शन को सर सैयद अहमद ने अलग अलग स्थानों का भ्रमण कर जुटाया था.
विश्वविद्यालय के पुरस्कार प्राप्त व्यक्ति
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से भारत को कई महान हस्तियां हुईं हैं. जिन्हें भारत के नागरिक सम्मान मिले हैं. जैसे कि-
भारतरत्न
डॉ0 जाकिर हुसैन (1963)
खान अब्दुल गफ्फार खान (1983)
पद्मविभूषण
डॉ0 जाकिर हुसैन (1954)
हाफिज मुहम्मद इब्राहिम (1967)
सैयद बसीर हुसैन जैदी (1976)
प्रो. आवेद सिद्दीकी (2006)
प्रो. राजा राव (2007)
प्रो. एआर किदवई (2010)
पद्मभूषण
शेख मोहम्मद अब्दुल्लाह (1964)
प्रो. सैयद जुहूर कासिम (1982)
प्रो. आले अहमद सुरुर (1985)
नसीरुद्दीन शाह (2003)
प्रो. इरफान हबीब (2005)
कुर्रातुल एन हैदर (2005)
जावेद अख्तर (2007)
डॉ. अशोक सेठ (2014)
पद्मश्री
विश्वविद्यालय के अब तक कुल 53 महानुभावों को पद्मश्री सम्मान मिला है.
ज्ञानपीठ
कुर्रतुलऐन हैदर (1989)
अली सरदार जाफरी (1997)
प्रो. शहरयार (2008)
भारतीय न्याय क्षेत्र में विश्वविद्यालय का योगदान
सुप्रीम कोर्ट के जज
जस्टिस बहारुल इस्लाम
जस्टिस सैयद मुर्तजा फजल अली
जस्टिस एस. सगहीर अहमद
जस्टिस आरपी सेठी
हाईकोर्ट के जज
एएमयू ने देश के विभिन्न हाईकोर्ट को 47 जज दिए हैं.
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