Ramacharit Manas Controversy: सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर साधु-संतों में नाराजगी, संत परमहंस दास ने की रासुका के तहत कार्रवाई की मांग
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Ramacharit Manas Controversy: सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर साधु-संतों में नाराजगी, संत परमहंस दास ने की रासुका के तहत कार्रवाई की मांग

Ramacharit Manas Controversy: स्वामी प्रसाद मौर्य के विवादित बयान को लेकर प्रयागराज माघ मेले में पहुंचे साधु-संतों ने कड़ी नाराजगी जताई है. साधु संतों ने साफ किया है कि स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ अगर कार्रवाई नहीं होती है तो साधु समाज पूरी तरह से समाजवादी पार्टी का बाहिष्कार कर देगा. 

 

फाइल फोटो.

प्रयागराज/मो. गुफरान: समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (SP Leader Swami Prasad Maurya) के रामचरितमानस (Ramcharit Manas Controversy) को लेकर दिए गए विवादित बयान पर साधु-संतों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है. संगम नगरी प्रयागराज पहुंचे अयोध्या के तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर महंत परमहंस दास  (Mahant Paramhans Das) ने स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य के ऊपर रासुका के तहत कार्रवाई की मांग की है. 

भाला उठाने के लिए मजबूर हो जाएगा संत समाज: महंत परमहंस दास
महंत परमहंस दास ने कहा कि 2 हजार सालों से हिंदू धर्म और उनके ग्रंथों पर कुठाराघात पहुंचाया जा रहा है. लेकिन अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान से उनकी भावनाओं को गहरी ठेस पहुंची है. उनके खिलाफ अगर सख्त कार्रवाई नहीं की जाती है तो संत समाज धर्म दंड उठाने के लिए बाध्य होगा. उन्होंने आगे कहा कि संत समाज माला जपने का काम करता है. लेकिन स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे लोग हिंदू धर्मग्रंथों पर अपमानजनक टिप्पणी करेंगे तो संत समाज अपने धर्म और ग्रंथों की रक्षा के लिए भाला उठाने के लिए मजबूर हो जाएगा. 

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मौर्य ने दिया था राममचरित मानस पर ये बयान
बता दें कि पूर्व मंत्री समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि रामचरितमानस के कुछ हिस्सों पर मुझे आपत्ति है. सपा नेता ने कहा, रामचरितमानस में दलितों और महिलाओं का अपमान किया गया है. तुलसीदास की रामायण में कुछ ऐसे अंश हैं, जिन पर हमें आपत्ति है. किसी भी धर्म में किसी को गाली देने का हक नहीं है. तुलसीदास की रामायण में चौपाई है. इसमें वह शूद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं. धर्म के नाम पर विशेष जाति का अपमान किया गया है. तुलसीदास ने ग्रंथ को अपनी खुशी के लिए लिखा था. करोड़ों लोग इसे नहीं पढ़ते. इस ग्रंथ को बकवास बताते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को इस पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए. बता दें कि इससे पहले 11 जनवरी को बिहार के शिक्षामंत्री चंद्रशेखर ने भी रामचरित मानस को नफरत फैलाने वाला हिंदू धर्म ग्रंथ बताया था.

भाजपा ने साधा निशाना 
स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर बीजेपी नेता राकेशधर त्रिपाठी ने पलटवार किया. उन्होंने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्या जब तक भाजपा में थे तब तक कभी भी उनके मुंह से कोई बदजुबानी नहीं सुनी. लेकिन जब से सपा के साथ गए तो जानबूझकर समाजवादी पार्टी के एजेंडे के तहत हिंदुओं को अपमानित करने के लिए और तुष्टिकरण करने के लिए रामचरितमानस का इस तरह से विरोध कर रहे हैं. 

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मुसलमानों ने भी किया विरोध
स्वामी प्रसाद मौर्य के विवादित बयान पर सूफ़ी इस्लामिक बोर्ड के राष्ट्रीय प्रवक्ता कशिश वारसी ने भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि यह बड़ा अफसोस भरा बयान है. मौर्य जी को स्वामी बनकर ऐसा प्रसाद नहीं बांटना चाहिए था. राजनीति में इंसान को इतने निचले स्तर तक नहीं जाना चाहिए. हमारी श्रद्धा और मोहब्बत भगवान राम से है. अल्लामा इकबाल ने भगवान राम को ईमामे हिंद कहा है. हम राम चंद्र जी का सम्मान करते है, हर मुसलमान राम चंद्र जी का सम्मान करता है. 

कशिश वारसी ने आगे कहा कि इस तरह के बयानों से मुसलमान खुश होने वाला नहीं है. मुस्लमान देश भक्त है. मौर्य जी तुलसीदास नहीं बन सकते. ना ही कोई और आगे तुलसीदास बन सकता है. उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान को वोटों की राजनीति करने और माहौल खराब करने वाला बयान बताया. उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि ऐसे लोगों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की जाए. जो देश की आवाम को बांटने का काम करेगा, उसके खिलाफ हमारी ऐलान-ए-जंग है. 

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