New Criminal Laws : आईपीसी की जगह अब भारतीय न्याय संहिता, सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम का कानून बनेगा.
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New Criminal Laws : देश में आपराधिक न्याय प्रणाली की बुनियाद समझे जाने वाले 150 साल पुराने तीन कानूनों में आमूलचूल बदलावों से जुड़े तीन कानून बुधवार को लोकसभा से पारित हो गए. इसके तहत आईपीसी की जगह अब भारतीय न्याय संहिता, सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम का कानून बनेगा. आईपीसी में बदलाव के तहत मर्डर की धारा 302 की जगह 101 होगी. जबकि रेप की धारा 375-376 की जगह 63 और 69 होगी. गैंगरेप के आरोपी को 20 साल तक की सजा या जिंदा रहने तक जेल में रखने का प्रावधान है.
रेप की धाराएं बदलीं
विधेयक में रेप और बच्चों के खिलाफ अपराध पर धाराएं बदली गई हैं. पहले रेप की धारा 375, 376 थी, अब जहां से अपराधों की बात शुरू होती है उसमें धारा 63, 69 में रेप को रखा गया है. गैंगरेप को भी आगे रखा गया है. बच्चों के खिलाफ अपराध को भी कानून के दायरे में लाया गया है मर्डर 302 था, अब 101 हुआ है.
लोकसभा में पेश किए गए ये तीन विधेयक
भारतीय न्याय संहिता (BNS) विधेयक 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) विधेयक 2023 और भारतीय साक्ष्य (BS) विधेयक 2023 को विपक्ष के कुल 97 सांसदों की गैर-मौजूदगी में बिल पेश किया गया. चर्चा के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने जवाब दिया. इसके बाद ध्वनिमत से तीनों बिल पास हो गए.
मॉब लिंचिंग पर फांसी की सजा
नए क्रिमिनल बिल को लेकर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि व्यक्ति की स्वतंत्रता, मानवाधिकार और सबके साथ समान व्यवहार रूपी तीन सिद्धांत के आधार पर ये विधेयक लाए गए हैं. प्रस्तावित कानूनों में मॉब लिंचिंग के अपराध के लिए फांसी की सजा का प्रावधान होगा.
ऐसी स्थिति में कम होगी सजा
नए क्रिमिनल कानून में गैर इरादतन हत्या में अगर आरोपी घायल को अस्पताल ले जाता है तो कम सजा होगी, लेकिन अगर वह टक्कर मारकर भाग जाता है, यानी हिट एंड रन केस में 10 साल की सजा होगी. मुकदमा दर्ज होने के 30 दिन गुनाह कबूल करने पर कम सजा होगी. मुकदमे पर फैसले के 45 दिनों के भीतर सजा का ऐलान करना होगा. यानी लंबे समय फैसला सुरक्षित नहीं रखा जाएगा.
दो दिन में रेप के मामलों में बयान लेना होगा
वहीं, रेप या महिला अपराध के अन्य मामलों में अगर पीड़िता का बयान लिया जाता है तो घर जाकर दो दिन के अंदर लिया जाएगा. पीड़िता के बयान की पूरी रिकॉर्डिंग की जाएगी और 24 घंटे के अंदर उसे मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करना होगा.
साक्ष्य इकट्ठा करते वक्त वीडियो रिकॉर्डिंग जरूरी
तलाशी, जब्ती, साक्ष्य इकट्ठा करते वक्त वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य होगी. इससे किसी निर्दोष को केस में फंसाया नहीं जा सकेगा. सात साल से ज्यादा सजा वाले केस में फॉरेंसिक जांच करना अनिवार्य होगी. इससे केस को मजबूती मिलेगी और अपराधी बच नहीं पाएंगे. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि गुजरात में बन रही फॉरेंसिक लैब से जुड़ी यूनिवर्सिटी से हर साल 35 हजार फॉरेंसिक एक्सपर्ट निकलेंगे.
महिलाओं की मदद
अगर कोई पुलिस के समक्ष शिकायत करता है तो पुलिस को तीन दिनों के भीतर एफआईआर दर्ज करनी होगी. कम सजा के मामलों में 14 दिनों के भीतर प्रारंभिक जांच पूरी करनी होगी. किसी आतंकी को फांसी की सजा होती है तो 30 दिनों के भीतर दया याचिका पर राष्ट्रपति को फैसला करना होगा. इसे लंबे समय तक लटका नहीं रखा जाएगा.