CM Yogi 51 Birthday: 5 जून को सीएम योगी आदित्यनाथ 51 साल के हो जाएंगे. आइये उनके परिवार को छोड़कर संत बनने, संत से गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी और फिर सांसद से दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने तक के सियासी सफर के बारे में जानते हैं.
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CM Yogi Adityanath Birthday/विशाल सिंह: उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है. इसको संभालने वाले मुखिया योगी आदित्यनाथ हैं. आज यानी 5 जून सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 51 साल के हो गए. हालांकि सीएम योगी पूर्वाश्रम (संन्यास से पहले) जन्मदिन नहीं मनाते हैं, लेकिन उनके समर्थक जन्मदिन पर उन्हें शुभकामनाएं देते हैं और भव्य आयोजन करते हैं. उनके जन्मदिन दिन के मौके पर आज हम आपको सीएम योगी आदित्यनाथ के उत्तराखंड से गोरखपुर पहुंचने तक और फिर सीएम बनने के सफर के बारे में बताएंगे.
अजय सिंह बिष्ट बने योगी आदित्यनाथ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किसी समय में अजय सिंह बिष्ट हुआ करते थे. उनका जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के पंचूर गांव में हुआ था. उनके पिता आनन्द सिंह बिष्ट फॉरेस्ट रेंजर थे और माता सावित्री देवी गृहिणी हैं. योगी आदित्यनाथ अपने भाई-बहनों में पांचवें नंबर पर आते हैं. उनकी तीन बड़ी बहनें, एक बड़ा भाई और एक छोटा भाई है. योगी आदित्यनाथ स्कूल के दिनों से ही विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता के रूप में कार्य करते थे. शायद यही वजह थी कि हिंदुत्व के प्रति उनका लगाव शुरू से रहा.
ऐसे हुई थी गुरु महंत अवेद्यनाथ से योगी आदित्यनाथ की मुलाकात
योगी आदित्यनाथ अक्सर वाद-विवाद प्रतियोगिता में भाग लिया करते थे. विद्यार्थी परिषद का एक कार्यक्रम था, जहां पर तत्कालीन गोरक्ष पीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया था. उस कार्यक्रम में देश भर से आए कई छात्रों ने अपनी बात रखी. जब योगी आदित्यनाथ ने अपनी बात रखनी शुरू की तो लोगों ने खूब सराहना की. उनका भाषण सुन अवेद्यनाथ महराज बहुत प्रभावित हुए. महराज ने उन्हें अपने पास बुलाया और पूछा, कहां से आए हो? तब उन्होंने बताया कि वह उत्तराखंड के पौड़ी के पंचूर से हैं. इस पर महराज ने कहा कि कभी मौका मिले तो मिलने जरूर आओ.
दरअसल, अवेद्यनाथ महराज भी उत्तराखंड के रहने वाले थे. उनका गांव भी योगी आदित्यनाथ के गांव से 10 किलोमीटर दूर था. उस पहली मुलाकात से योगी आदित्यनाथ बहुत प्रभावित हुए. उनसे मिलने का वादा कर वह वहां से चल दिए. उस मुलाकात के बाद योगी अवेद्यनाथ महराज से मिलने के लिए गोरखपुर आए. कुछ दिन बाद वह फिर अपने गांव लौट गए. वहां जाकर उन्होंने ऋषिकेश में ललित मोहन शर्मा कॉलेज के एमएससी में दाखिला ले लिया, लेकिन उनका मन गोरखपुर स्थित गुरु गोरखनाथ की तपस्थली की तरफ हमेशा घूमता रहता था.
इसी बीच अवेद्यनाथ महराज बीमार पड़ गए. योगी उनसे मिलने पहुंचे. तब अवेद्यनाथ जी महराज ने उनसे कहा कि हम रामजन्म भूमि पर मंदिर के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं. मैं इस हाल में हूं यदि मुझे कुछ हो गया तो मेरे मंदिर को देखने वाला कोई नहीं होगा. तब योगी आदित्यनाथ ने उनसे कहा कि आप चिंता न करें आप को कुछ नहीं होगा. मैं गोरखपुर जल्द आऊंगा.
1998 में बने महंत अवेद्यनाथ के उत्तराधिकारी
इसके बाद साल 1992 में वह अपनी मां को गोरखपुर जाने की बात कहकर घर से चले आए थे. फिर साल 1994 में गोरखनाथ मंदिर के महंत अवेद्यनाथ से दीक्षा लेकर वह योगी बन गए और सांसारिक जीवन को त्याग कर संन्यास ले लिया. तब उनकी उम्र महज 22 साल थी. 1998 में महंत अवेद्यनाथ ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया. तब उनकी उम्र 26 साल थी. इसी साल लोकसभा प्रत्याशी के रूप में उन्होंने चुनाव लड़ा और सबसे कम उम्र में सांसद बन कर संसद भवन पहुंचे. 1998 से लेकर मार्च 2017 तक योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से सांसद रहे और हर बार उनकी जीत का आंकड़ा बढ़ता ही गया. 2017 में उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. इसके बाद उन्होंने 2022 में दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
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