Vat Savitri Vrat 2024: आज है वट सावित्री व्रत? जानें पूजा विधि और महत्व
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Vat Savitri Vrat 2024: आज है वट सावित्री व्रत? जानें पूजा विधि और महत्व

Vat Savitri Vrat 2024 Kab Hai: सनातन धर्म के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक वट सावित्री का व्रत है इस दिन सुहागिन महिलाएं वटवृक्ष की पूजा करती हैं और उनकी दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं.

Vat Savitri Vrat 2024 Kab Hai

Vat Savitri Vrat 2024: वट सावित्री व्रत जेष्ट कृष्ण पक्ष के अमावस्या तिथि को मनाया जाता है. वट सावित्री व्रत,जिसे सावित्री अमावस्या या वट पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है.वट सावित्री व्रत भी सौभाग्य प्राप्ति के लिए एक बड़ा व्रत माना जाता है. इस बार वट सावित्री व्रत 6 जून दिन गुरुवार को मनाया जाएगा. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं. यह त्योहार मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, मध्य प्रदेश पंजाब और हरियाणा में मनाया जाता है. 

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कब है वट सावित्री व्रत
6 जून 2024

सत्यवान सावित्री की पौराणिक कथा
इसके साथ सत्यवान सावित्री की पौराणिक कथा जुड़ी हुई है. इसके साथ पौराणिक सत्यवान सावित्री की कथा जुड़ी हुई है. जिसमें सावित्री ने अपने चतुराई और धर्म के साथ यमराज से लड़कर अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लौटाये थे. इस दिन सत्यवान और सावित्री की कथा सुनी जाती है.

वट वृक्ष की पूजा
धर्म शास्त्रों में इस व्रत का महत्व करवाचौथ जैसे बताया गया है.  इस दिन व्रत रखकर सुहागिनें वट वृक्ष की पूजा लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य देने के साथ ही हर तरह के कलह और संतापों का नाश करने वाली मानी जाती है.  ऐसा माना जाता है कि वट वृक्ष में ब्रह्मा विष्णु और महेश तीनों देव का वास होता है.वट सावित्री व्रत जेष्ट कृष्ण पक्ष के अमावस्या तिथि को मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को रखने से परिवार के लोगों को सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है और वैवाहिक जीवन में खुशियां आती है.जिस कारण यह व्रत प्रचलित है और सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए यह निश्चित तौर पर करती है.

वट सावित्री व्रत पूजा विधि
सुबह उठकर इस दिन महिलाएं स्नान करें. साफ कपड़े नए या कपड़े पहन भगवान  का ध्यान करें.इसके बाद खुद का सोलह शृंगार करें.  पूजा के भोग के लिए प्रसाद हेतू सात्विक भोजन तैयार करें. वट वृक्ष की पूजा करने के लिए कच्चा सूत, जल से भरा कलश, हल्दी, कुमकुम, फूल और पूजन की सभी सामग्री लें. जहां पर वट वृक्ष है, वहां जाएं.  सबसे पहले वट वृक्ष पर जल चढ़ाएं. फिर उसके सामने देसी घी का दीपक जलाएं. सभी पूजन सामग्री एक-एक करके भाव के साथ अर्पित करें. पेड़ के चारों तरफ परिक्रमा करें. वट सावित्री कथा का पाठ करें. आखिर में आरती के साथ पूजा का समापन करें. भगवान का आशीर्वाद लें और पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करें. पूजा के बाद परिवार के बड़े-बुजुर्ग से भी आशीर्वाद लें.

वट वृक्ष पूजन मंत्र
अवैधव्यं च सौभाग्यं देहि त्वं मम सुव्रते।

पुत्रान्‌ पौत्रांश्च सौख्यं च गृहाणार्घ्यं नमोऽस्तुते।।

यथा शाखाप्रशाखाभिर्वृद्धोऽसि त्वं महीतले।

तथा पुत्रैश्च पौत्रैश्च सम्पन्नं कुरु मा सदा।।

वट सावित्री व्रत का महत्व 
ऐसी मान्यता है कि जो भी सुहागन स्त्री वट सावित्री व्रत करती है उसे अखंड सौभाग्य का फल मिलता है और उसके सभी कष्ट दूर होते हैं. पुराणों के अनुसार, वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों देवताओं का वास है. इसके नीचे बैठकर पूजन, व्रत कथा सुनने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

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