Pushya Nakshatra 2023: इस बार पुष्य नक्षत्र का दुर्लभ योग दिवाली से पहले पड़ रहा है. 4 और 5 नवंबर के दिन ये संयोग बन रहा है. इस कारण शनिवार और रविवार का दिन धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
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Pushya Nakshatra 2023: दीपावली के लिए बस कुछ ही दिन बचे हैं. दिवाली की खरीदारी शुभ मुहूर्त से शुरू की जाती है. इनमें पुष्य नक्षत्र खास माना गया है. इस बार दीपावली से ठीक एक हफ्ते पहले यानी 4 और 5 नवंबर को पुष्य नक्षत्र बन रहा है. इन दो दिन खरीदारी के लिए महामुहूर्त पुष्य नक्षत्र का संयोग बन रहा है. ये दुर्लभ संयोग है क्योंकि दोनों दिन आठ शुभ योग भी निर्मित हो रहे हैं. 4 नवंबर की सुबह 8 बजे से पुष्य नक्षत्र की शुरुआत होगी, जो अगले दिन रविवार को सुबह 11 बजे तक रहेगा.
8 बजे से शुरू होगा पुष्य नक्षत्र
शनिवार (4 नवंबर) को सुबह करीब 8 बजे से पुष्य नक्षत्र शुरू हो जाएगा जो रविवार (5 नवंबर) को सुबह 10 बजे तक रहेगा. इन दोनों दिन किए गए कोई भी काम लाभदायक और शुभ रहेंगे.
ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि शनि और रविपुष्य के साथ अष्ट महायोग का ऐसा दुर्लभ संयोग पिछले 400 साल में नहीं बना. इसलिए दीपावली से पहले शुभ कामों की शुरुआत के लिए ये दो दिन बेहद ही शुभ रहेंगे. दोनों ही दिन नए काम की शुरुआत, भूमि,भवन,रियल एस्टेट में निवेश, वाहन खरीदारी, सोने चांदी के आभूषण, बही खाते,कपड़े और अन्य चीजों की खरीदारी के लिए सर्वश्रेष्ठ समय है. खरीदी का अक्षय लाभ मिलेगा. इन दो दिन आप घरेलू और ऑफिस में इस्तेमाल की चीजें खरीदें तो वो बहुत शुभ रहेगा.
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पुष्य नक्षत्र के साथ 8 संयोग
ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक 4 नवंबर, शनिवार को पुष्य नक्षत्र के साथ शंख, लक्ष्मी, शश, हर्ष, सरल, साध्य, मित्र और गजकेसरी योग रहेंगे. इन शुभ योगों के साथ ही पुष्य नक्षत्र का स्वामी शनि अपनी ही राशि में रहेगा. इन शुभ संयोग में की गई खरीदारी और प्रॉपर्टी में निवेश लंबे समय तक फायदा देगा.
इन कामों के लिए बेहद शुभ संयोग
विद्वानों के मुताबिक 5 नवंबर, रविवार को पुष्य नक्षत्र के साथ सर्वार्थसिद्धि, शुभ, श्रीवत्स, अमला, वाशि, सरल और गजकेसरी योग बनेंगे. जिससे निवेश, लेन-देन और नई कामों की शुरुआत के लिए ये दिन बहुत ही शुभ रहेगा.
शनि और गुरु की स्थिति बना रही मंगलकारी योग
पुष्य नक्षत्र में खरीदारी शुभता और स्थिरता देती है. नए व्यापार की शुरुआत, नई दुकान या नए प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए भी यह समय उपयुक्त माना जाता है. शनि और रवि पुष्यामृत के साथ बनने वाले शुभ योग, शनि और गुरु की स्थिति मंगलकारी योग बना रहे हैं. इन शुभ योग में किए जाने वाले हर काम स्थिरता देने वाले रहेंगे.
पुष्य है नक्षत्रों का राजा
सभी नक्षत्रों में पुष्य को राजा का दर्जा मिला हुआ है. इसका स्वामी शनि और देवता गुरु होते हैं, इसलिए पुष्य नक्षत्र इन ग्रहों से विशेष प्रभावित रहता है. जबकि शनि स्थिरता के स्वामी माने जाते हैं. गुरु ज्ञान और धन का कारक होते हैं. शनि के प्रभाव से खरीदी गई चीजें लंबे समय तक रहती है और गुरु के प्रभाव से समृद्धि लाने वाली होती हैं.
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Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.