Sharadiya Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि में नौ स्वरूपों की पूजा होती है. मां के नौ रूपों और उनके गुणों का औषधीय महत्व भी है. ऋषि मार्कंडेय ने चिकित्सा पद्धति में देवी दुर्गा के 9 औषधीय रूपों का जिक्र है. ब्रह्माजी द्वारा इन औषधियों को दुर्गा कवच कहा गया है. नवरात्रि और नवरात्रि के बाद भी इन औषधियों का सेवन करने से मां दुर्गा के नौ रूपों का तेज और आशीर्वाद आपके भीतर कवच की तरह काम करता है.
प्रथम औषधि के रूप में हरड़ को देवी शैलपुत्री का रूप माना गया है. इस औषधि को हेमवती के नाम से भी जाना जाता है जो कि मां शैलपुत्री का ही दूसरा नाम व रूप है. यह औषधी शास्त्र की सबसे पहली व महत्वपूर्ण औषधि है.
हरड़ के सात प्रकार हैं और 7 गुण हैं- पथया हरड़ - हित करने वाली औषधि, कायस्थ हरड़ - निरोगी शरीर रखने की औषधि, अमृता - अमृत के समान असर देने वाली औषधि, हेमवती हरड़ - हिमालय में पाई जाने वाली औषधि, चेतकी हरड़ - मन में चित्र को प्रसन्न रखने वाली औषधि, श्रेयसी हरड़ (शिवा) - कल्याण करने वाली औषधि
द्वितीय औषधि का नाम ब्राह्मी है जो देवी ब्रह्मचारिणी का रूप माना जाती है. ब्राह्मी के नित्य सेवन करने से व्यक्ति की चेतना स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है. वाणी को मधुर बनाने की शक्ति रखने के कारण इसे सरस्वती भी कहा जाता है.
तीसरी औषधि का नाम चमसूर औषधि है जोकि देवी चंद्रघंटा प्रतिरूप मानी जाती है उनके गुणों को लिए हुए यह औषधि वात और मोटापा दूर करने के लिए उपयोगी है. इसका एक नाम चंद्रवंती औषधि भी है जो कि हृदय संबंधी रोगों को ठीक करती है.
चतुर्थ औषधि है कुम्हड़ा जो कि मां कुष्मांडा की शक्ति से परिपूर्ण है. इसके सेवन से रक्त विकार, वीर्य वृद्धि, पेट के रोगों, मानसिक कमजोरी जैसी समस्या दूर होती हैं. पेठे का सेवन रक्त, पित्त और गैस जैसे विकारों को दूर करता है.
पंचम औषधि अलसी को माना गया है यह देवी स्कंदमाता का गुण लिए होती है. अलसी के गुणों का बखान करना अतिशयोक्ति होगी. अलसी के सेवन से गठिया कोलेस्ट्रोल हृदय रोग जैसे असाध्य रोगों से आराम मिलता है.
षष्ठम औषधि मोइया नाम की औषधि है. माता कात्यायनी के रूप में औषधि को कंठ संबंधी रोगों के लिए अभेद्य कवच माना जाता है.
सत्यम औषधि जो कि मां कालरात्रि के गुण लिए है उसे नागदोन कहा जाता है. सर्वत्र विजय दिलवाने वाली देवी कालरात्रि की यह औषधि हृदय व मानसिक विकारों को दूर करने में सहायक है.
अष्टम औषधि का नाम तुलसी है जोकि देवी महागौरी के रूप में प्रत्येक घर में लगाई व पाई जाती है. तुलसी को संजीवनी के समान गुणवंती माना जाता है. यह रक्त में फैले विकारों को दूर करके हृदय को मजबूत बनाती है.
नवमी औषधि यानी देवी सिद्धिदात्री शतावरी को माना जाता है. शतावरी के सेवन से बल बुद्धि वीर्य की वृद्धि होती है. हित शोध नाशक औषधि का सेवन करने से अनेक प्रकार की बीमारियां दूर होती हैं.
इस तरह से न केवल दुर्गा माता के नौ रूप हमारे लिए रक्षा कवच का काम करते हैं बल्कि इनके ही गुणों को लिए हुए यह 9 औषधिया हमें सारे जीवन निरोगी बनाए रखने का सामर्थ्य रखती हैं और हमारे लिए एक सुरक्षा कवच का काम करते हैं.
Disclaimer: यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.