Navratri 2024: सनातन धर्म में महाअष्टमी, रामनवमी और महानवमी, तीनों का ही खास महत्व है. ये शक्ति, भक्ति और उत्सव का प्रतीक है. हालांकि, इन तीनों त्योहारों के बीच कई अंतर भी है, जो उनकी तिथि, महत्व, पूजा, और उत्सव से संबंधित है. आइए जानते हैं तीनों त्योहारों में क्या अंतर है?
रामनवमी के दिन लोग मंदिरों में जाते हैं. भगवान राम की मूर्ति को स्नान कराते हैं. फूलों से सजाते हैं और दीप जलाते हैं. वह व्रत रखते हैं, भजन गाते हैं और रामायण का पाठ करते हैं. घरों में लड्डू, बर्फी, और गुलाब जामुन जैसे मीठे व्यंजन बनाए जाते हैं और परिवार- दोस्तों के साथ साझा किए जाते हैं.
महा नवमी के दिन, लोग देवी दुर्गा की मूर्ति को हाथी या पालकी में सजाकर जुलूस निकालते हैं. वह नृत्य करते हैं, गाते हैं, और देवी दुर्गा की जयकार करते हैं. शस्त्र पूजन के बाद, लोग असुरों पर विजय प्राप्त करने के लिए देवी दुर्गा से प्रार्थना करते हैं.
नवरात्रि के दौरान अष्टमी और नवमी को विशेष महत्व दिया जाता है. इन दिनों कन्या पूजन और हवन किया जाता है. मान्यता है कि नवरात्रि में कन्या पूजन करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं.
राम नवमी चैत्र मास की नौवीं तिथि को मनाया जाता है, जो हिंदू नववर्ष की पहली नवरात्रि भी होती है. वहीं, महानवमी आश्विन मास की नौवीं तिथि को मनाया जाता है, जो दुर्गा पूजा के त्योहार का नौवां दिन होता है.
रामनवमी के दिन लोग भगवान राम की पूजा करते हैं, व्रत रखते हैं, आरती गाते हैं, रामायण का पाठ करते हैं, भजन गाते हैं, रामलीला का आयोजन करते हैं. वहीं महानवमी के दिन लोग देवी दुर्गा की पूजा करते हैं, नवमी को कन्या का पूजन करते हैं, भोजन वितरित करते हैं, शस्त्र पूजन करते हैं, हावन करते हैं. नृत्य करते हैं और दुर्गा की मूर्ति का विसर्जन करते हैं.
रामनवमी के एक दिन का त्योहार है, जिसे उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है. वहीं, महानवमी को दुर्गा पूजा का नौवां दिन है, जो दस दिनों तक चलता है.
रामनवमी और महानवमी दोनों ही सनातन धर्म में महत्वपूर्ण त्योहार है, लेकिन इनकी तिथि, महत्व, पूजा, और उत्सव में अंतर होता है. रामनवमी भगवान राम के जन्म का उत्सव है, जबकि महानवमी देवी दुर्गा की जीत का प्रतीक है.
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