Raksha Bandhan 2024: हर साल सावन मास के पूर्णिमा तिथि को ये पर्व मनाया जाता है. रक्षाबंधन में अगर आप राखी के साथ भाइयों की कलाई में कलावा बांधती हैं तो वो भी बहुत शुभ माना जाता है. आइए जानते हैं इस रक्षा सूत्र के बारे में...
रक्षाबंधन का पर्व हर साल सावन मास के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है ये त्योहार भाई और बहन के प्रेम के रिश्ते को मजबूत करने का एक ख़ास पर्व होता है. राखी के पर्व पर बहनें अपने भाइयों की कलाई में राखी के रूप में रक्षा का सूत्र बांधती हैं, वहीं भाई उनकी रक्षा का वचन लेते हैं.
बहनों के द्वारा बांधी गई राखी भाई को हर एक बुरी शक्ति से बचाने के साथ उसे सफलता का शुभाशीष भी प्रदान करती है. रक्षाबंधन में यदि आप राखी के साथ भाइयों की कलाई में कलावा बांधती हैं तो वो भी बहुत शुभ माना जाता है.
ज्योतिष और धर्म शास्त्र में हाथ पर राखी के साथ कलावा बांधना सुरक्षा, प्रेम और आजीवन समर्थन के वादे का प्रतीक माना जाता है. रक्षाबंधन के दिन जब एक बहन अपने भाई की कलाई पर कलावा बांधती है तो यह उनके बीच प्यार और विश्वास के बंधन को दर्शाता है.
कलावा हमेशा उसके साथ किसी भी परिस्थिति में खड़े रहने का प्रतीक माना गया है. कलावा बांधने के साथ बहन अपने भाई की समृद्धि, सफलता और अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना और आशीर्वाद भी देती है. किस रंग का कलावा बांधे तो बता दें कि पीले और लाल रंग का कलावे का सबसे ज्यादा महत्व है.
किसी की भी कलाई में कलावा बांधना एक प्रतीकात्मक और पारंपरिक अनुष्ठान है जो हिंदू संस्कृति में गहरा महत्व रखता है. राखी के साथ कलावा बांधना सुरक्षा, प्रेम और आजीवन समर्थन के वादे का प्रतीक माना जाता है.
राखी के त्योहार पर बहन ध्यान रखें कि दाहिने हाथ में कलावा बांधा जाए. ऐसा भी कहा जाता है कि भाई इस कलावे को कम से कम एक महीने जरूर बांधकर रखें.
राखी पर अपने भाई की कलाई में राखी के साथ कलावा बांधती हैं तो ये आपके जीवन में भी सुख-समृद्धि के द्वार खोल सकता है. ये शुभता का प्रतीक माना जाता है.
ऐसी मान्यता है कि कलावा बांधने से शरीर के सभी चक्र नियंत्रित होते हैं और यह शरीर का संतुलन बनाए रखने में मदद करता है. इसलिए कलावा हर प्रकार से भाई के लिए शुभ है.
वहीं रक्षाबंधन के पर्व में भी कलावा बांधने से आपको कई फायदे मिल सकते हैं. इससे भाई और बहन के बीच का रिश्ता मजबूत होता है. अगर आप इसे श्रद्धा से और पूरे नियम से बांधें तो इसके दोगुने फल मिलते हैं.
किसी भी पूजा-पाठ के समापन के समय हाथों में कलावा बांधने की प्रथा काफी लंबे समय से चली आ रही है। यही नहीं जब हम किसी पवित्र स्थान पर जाते हैं तब भी हाथों में कलावा बांधा जाता है जिससे आपको सुरक्षा मिले।
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