सावन हिंदू पंचांग का पांचवां महीना है. यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और इस दौरान उनकी पूजा-अर्चना विशेष रूप से की जाती है. सावन को भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है.
देवभूमि उत्तराखंड में स्थित ऋषिकेश (Rishikesh Temples) एक पावन तीर्थ स्थल है. यहां जितने सुंदर घाट स्थापित हैं, उतने ही प्राचीन मंदिर भी हैं.
अगर आप भी सावन माह में भगवान शिव की पूजा करने के लिए ऋषिकेश जा रहे हैं, तो यह बेहद उत्तम फलदायी साबित हो सकता है. बता दें, ऋषिकेश, उत्तराखंड में स्थित गंगा नदी के तट पर बसा एक पवित्र शहर है. ऋषिकेश को चार धाम यात्रा का प्रवेश द्वार भी है.
आइए इस लेख में ऋषिकेश के कुछ ऐसे मंदिर के बारे में जानते हैं जहां, सावन माह (Sawan 2024) में दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती है. यहां पूजा करने से भक्तों की सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं.
मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय निकले विष को भगवान शिव ने पिया था. वह किसी ऐसे स्थान की तलाश में थे, जहां उन्हें ठंडक मिल सके. जिसके चलते वह इस स्थान पर पहुंचे और यहां 60,000 वर्ष ध्यान लगाकर बैठ गए. जिसके बाद इस स्थान पर मंदिर का निर्माण किया गया.
इस सावन आप अपने परिवार के साथ उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर के दर्शन कर सकते हैं. नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, जहां सावन माह में दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती है. इस मंदिर से जुड़ी एक कथा काफी प्रचलित है.
वीरभद्र महादेव मंदिर ऋषिकेश के वीरभद्र में स्थित है. इस मंदिर की एक कथा काफी प्रचलित है. ऐसा कहा जाता है कि हरिद्वार में यज्ञ के दौरान जब मां सती यज्ञ कुंड में कूद गई थीं, तब भगवान शिव ने गुस्से में अपनी जटा से एक बाल निकालकर धरती पर फेंक दिया था, जिससे वीरभद्र प्रकट हुए. वीरभद्र ने राजा दक्ष का सिर काटकर उसे मृत्युदंड दिया. फिर भी उनका क्रोध शांत नहीं हुआ. रास्ते में जो भी दिखा, उसका गला काटा. जब वीरभद्र ऋषिकेश पहुंचे, तो यहां भगवान शिव ने उन्हें गले लगा लिया, जिसके बाद वह शांत हुए. किवदंति है कि वे वहीं शिवलिंग के रूप में विराजमान हो गए.
चंद्रेश्वर महादेव मंदिर ऋषिकेश के चंद्रेश्वर नगर में स्थित एक प्राचीन मंदिर है. आदिकाल में भगवान चंद्रमा को श्राप मिला था. तब चंद्रमा इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए ऋषिकेश के इस स्थान पर पहुंचे थे. ऐसा कहा जाता है कि चंद्र देव ने गंगा के किनारे भगवान शिव की आराधना की. करीब 14,500 देव सालों के बाद महादेव ने एक बूढ़े ब्राह्मण के रूप में उन्हें दर्शन दिए और श्राप मुक्त कराया.
सोमेश्वर महादेव मंदिर ऋषिकेश के गंगा नगर में स्थित है. ऐसा कहा जाता है कि सतयुग में सोम ऋषि ने यहां घोर तपस्या की थी. तपस्या से प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने उन्हें दर्शन दिए थे. साथ ही उनके कोई भी वरदान न मांगने पर भगवान शिव ने इस स्थान को सोमेश्वर नाम दिया. तभी से यह स्थान सोमेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है. मान्यताओं के अनुसार, यहां स्थित शिवलिंग भोलेनाथ ने धरती से प्रकट किया था.
बारात में शामिल सभी देवगण, भूतों और जानवरों ने इसी मंदिर में एक रात बिताई थी. इसलिए इस मंदिर को भूतनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है
ऋषिकेश के राम झूले से थोड़ी दूर पर प्राचीन भूतनाथ मंदिर स्थित है. इस मंदिर को भूतेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है. इस मंदिर की एक कथा काफी प्रचलित है. ऐसी मान्यता है की जब भगवान शिव, माता सती संग विवाह के लिए बारात लेकर निकले थे. तो उनके ससुर राजा दक्ष ने भगवान शिव को उनके बारात संग इसी मंदिर में ठहराया था.
यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.