छठ का पर्व भोजपुरी लोकगीत के बीना अधूरा सा है. छठ पर्व में गानों का बहुत महत्व होता है.
पौराणिक मान्यताओं के छठ का व्रत सुहाग की लंबी आयु , संतान के सुखी जीवन और घर के सुख- समृद्धि के लिए यह व्रत रखा जाता है. ऐसे में यूपी बिहार में इस पर्व को लेकर लोगों में अलग तरह का क्रेज है. इस व्रत में भोजपुरी लोकगीत का अपना अलग महत्व है. लोगों का कहना है कि बिना इन गीतों के छठ पर्व अधूरा है, तो चलिए आपको बताते है कुछ छठ से संबंधित भोजपुरी लोकगीत जिसे आपको भी सुनना चाहिए.
इस गाने का बोल कुछ इस तरह है. सोना सट कुनिया, हो दीनानाथ हे घूमइछा संसार, हे घूमइछा संसार सोना सट कुनिया, हो दीनानाथ हे घूमइछा संसार, हे घूमइछा संसार
कोने खेत जनमल धान सुधान हो, कोने खेत डटहर फान ए माई, कोने कोखि लिहले जनम रे सुरुज देव, उठउ सुरुज भईले बिहान
कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाय बहंगी लचकत जाय होई ना बलम जी कहरिया, बहंगी घाटे पहुंचाय
उगा है सूरज देव भेल भिनसरवा, अरघ केरे बेरवा पूजन केरे बेरवा हो
जय छठी मईया सबे वरत कर त ऐ धनी तुहूं कर मर जनी मन आशो भाऊजी कोशी भर