Balkeshwar Mahadev Temple Agra: बल्केश्वर महादेव मंदिर आगरा (Balkeshwar Mahadev Temple Agra)बल्केश्वर महादेव मंदिर महादेव शिव को समर्पित किया गया है. यह 700 साल से भी ज्यादा पूराना मंदिर है.
हमारे देश को मंदिरों की धरती कहा जाता है. यहां लाखों मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र हैं और इनकी अपनी परंपराएं और मान्यताएं हैं. ऐसा ही एक मंदिर उत्तर प्रदेश के आगरा (Agra) में स्थित है.
आगरा पौराणिक और एतिहासिक शहर है. जिसके चारों कोने और बीच में स्थित प्राचीन मंदिरों में बाबा महादेव विराजमान हैं. आज हम बात कर रहे हैं ताजनगरी के बल्केश्वर महादेव (Balkeshwar Mahadev) मंदिर के बारे में.
यहां सावन माह में भक्तों की भीड़ उमड़ती है. ये मंदिर ताजमहल (Tajmahal) से महज 7 किमी की दूरी पर स्थित है. यह मंदिर आगरा (Agra) के प्रमुख दर्शनीय स्थानों में से एक है. इस मंदिर की काफी मान्यता है.
जानते हैं आगरा के महाकाल कहे जाने वाले यमुना किनारे स्थित बाबा बल्केश्वर महादेव का इतिहास, मान्यता और मंदिर की पूरी कहानी. आज से करीब 700 साल पहले बेलपत्र के घने जंगल में चमत्कारी शिवलिंग की कहानी के बारे में.
बल्केश्वर महादेव मंदिर का प्राचीन नाम बिल्वकेश्वर महादेव मंदिर है. आगरा शहर के शिव मंदिरों की परिक्रमा में बल्केश्वर महादेव मंदिर में जल अर्पित करने की परंपरा है. 40 दिनों तक भगवान शिव की आराधना करने से हर मनोकामना पूरी होती हैं.
ऐसा कहा जाता है कि जहां ये मंदिर (Balkeshwar Mahadev Temple) स्थित है, वहां कभी बिल्व के घने जंगल थे. करीब 700 साल पहले जब इस जंगल की कटाई हुई तो लोगों को यहां शिवलिंग और मंदिर दिखाई दिया.
बिल्व पत्र के जंगल में होने की वजह से इसे बिल्केश्वर महादेव मंदिर कहा जाता था. आज भी यमुना इस मंदिर के समीप होकर गुजरती है.
बल्केश्वर मन्दिर (Balkeshwar Mahadev) का खास आकर्षण है शिवलिंग का अद्भुत श्रृंगार. मंदिर में भगवान शिव का अभिषेक, शृंगार चंदन व केसर से किया जाता है.
ऐसा कहा जाता है कि जो भी भक्त लगातार 40 दिन बाबा के दरबार में आए, बाबा बल्केश्वर नाथ (Balkeshwar Mahadev Temple)पर जल अर्पण करे, पूजा और अर्चना करे तो उसकी मनोकामना पूरी होती है.
यमुना तट पर स्थित इस शिवालय की भव्यता निहारते ही बनती है. यहां पर सावन के सोमवारों को विशेष पूजा होती. सावन में भोले बाबा का भव्य श्रृंगार होता है.इस शिवालय की मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से आता है, उसकी हर इच्छा पूरी होती है.
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर की तरह मंदिर के गर्भगृह में सिर्फ सेवादारी परिवार के सदस्यों को ही प्रवेश दिया जाता है. श्रद्धालुओं को कोई समस्या ना हो, इसके लिए दूर से ही शिवलिंग पर जल अर्पित करने की व्यवस्था की गई है. अतिरिक्त जलधारी भी लगाई गई है.
इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zeeupuk इनकी पुष्टि नहीं करता है.