Pitra Tarpan ke Niyam: हिंदू धर्म में पितृ तर्पण को मोक्ष का जरिया माना जाता है. लेकिन ऐसी भी मान्यता है कि पुत्र ही पितरों का श्राद्ध करते हैं. हलांकि पुत्र न होने पर भी परिवार के यह सदस्य पितृ तर्पण कर सकते हैं. आइए जानते हैं क्या है नियम.
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Beta Na Hone Par Kaun Kar Sakta Hai Shraddh: हिंदू धर्म पुर्वजन्म में विश्वास रखता है. इसमें मोक्ष की व्यवस्था है. श्राद्ध को सबसे अहम माना जाता है. जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो परिजन उसकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध करते हैं. वैसे तो इसके लिए सबसे पहला नाम बड़े या सबसे छोटे बेटे का नाम आता है, लेकिन यदि किसी के पुत्र ही न हो तो ऐसे में सवाल ये उठता है कि उस व्यक्ति श्राद्ध कौन कर सकता है. आइए जानते हैं ऐसी स्थिति में क्या नियम हैं.
कब से शुरू हो रहा है पितृ पक्ष'
हर साल भादो माह की पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष की शुरुआत होती है. हिंदू पंचांग के मुताबिक इस बार पितृ पक्ष की शुरुआत 29 सितंबर दिन शुक्रवार से होने जा रहा है. पितृपक्ष 14 अक्टूबर तक रहेगा. आश्विन मास के कृष्ण पक्ष से प्रारंभ होकर अमावस्या तक के 15 दिनों की अवधि पितृ पक्ष अर्थात श्राद्ध पक्ष कहलाती है.
बेटा न होने पर कौन कर सकता है श्राद्ध कर्म'
हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक श्राद्ध करने का पहला अधिकार बड़े पुत्र का होता है. यदि बड़ा बेटा इस दुनिया में नहीं है या किसी कारणवश श्राद्ध करने में अस्मर्थ है तो छोटा पुत्र श्राद्ध कर सकता है.
हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक श्राद्ध का अधिकार केवल पुत्र को होता है, लेकिन अगर किसी व्यक्ति का पुत्र नहीं है तो उसकी पत्नी श्राद्ध कर सकती है. इसके अलावा भाई का पुत्र यानि भतीजा भी श्राद्ध कर सकता है. यदि इनमें से कोई नहीं है और परिवार में केवल बेटी है तो पुत्री का बेटा यानि नाती भी श्राद्ध कर सकता है.
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