Krishan Janmashtami 2023: हिंदू धर्म जन्माष्टमी के पर्व का बड़ा महत्व है... पूरे देश भर में इसे धूमधाम से मनाया जाता है...हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है...जन्माष्टमी में पूजन के साथ भोग का भी विधान है... अगर भगवान को उनका मनपसंद भोग लगाते है तो आपकी हर मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होंगी...
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Krishna Janmashtami 2023: हिंदू धर्म में जन्माष्टमी का पर्व बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, वृषभ राशि और बुधवार के दिन हुआ था. इस साल जन्माष्टमी का व्रत 06 सितम्बर को मनाया जाएगा. व इस दिन कान्हा के भक्त भगवान श्रीकृष्ण की पूजा और व्रत करके उन्हें अलग-अलग चीजों का भोग लगाते हैं. वैसे तो कान्हा को 56 तरीके का भोग लगाने लगाया जाता है. कहा जाता है कि कृष्ण जी को 56 भोग न लगाकर बस पांच चीजों का भोग लगाकर खुश कर सकते हैं. अगर आप लड्डू गोपाल को उनका मनपसंदीदा भोग लगाते हैं तो आप पर श्री कृष्ण की कृपा हमेशा बनी रहेगी और सभी मनोकामना भी पूर्ण होगी. आइए जानते हैं कि कान्हा जी कौन से पांच प्रसाद का भोग लगाकर खुश किया जा सकता है.
इन चीज़ो का लगाएं भोग
माखन मिश्री
भगवान श्री कृष्ण को माखन अतिप्रिय है. कान्हा को मक्खन के साथ मिसरी मिलाकर भोग लगाएं. भक्त जन्माष्टमी के दिन उन्हें प्रसन्न करने के लिए माखन-मिसरी का भोग लगाते हैं. कान्हा जी माखन मिश्री से बहुत खुश होते हैं और आशीर्वाद देते हैं.
धनिया पंजीरी
श्री कृष्ण को जन्माष्टमी के दिन धनिए से बनी पंजीरी का भोग लगाया जाता है. धनिया पंजीरी को धनिया पाउडर में काजू, मिश्री, बादाम और घी मिलाकर अच्छे से मिलाकर तैयार किया जाता है. इसके बाद इसका भोग बाल गोपाल को लगाया जाता है.
खीर
जन्माष्टमी के दिन कान्हा को चावल की खीर का भोग लगाया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि माखन-मिश्री के बाद उनको खीर बहुत पसंद थी. यशोदा मइया अपने लल्ला की पसंद की खीर बनाया करती थी. जन्माष्टमी के दिन कृष्णा के भक्त भी उन्हें खुश करने के लिए खीर का भोग लगाते हैं.
पंचामृत
कान्हा की पूजा में पंचामृत जरूरी माना जाता है. इसके बिना जन्माष्टमी की पूजा अधूरी मानी जाती है. पंचामृत में 5 चीजें, दूध, घी,,तुलसी, दही, गंगाजल और शहद मिलाकर बनाया जाता है.
खीरा
भगवान श्री कृष्ण की पूजा में खीरा रखना भी जरूरी माना जाता है. कई जगहों पर कृष्ण जन्म को खीरे के प्रतीक के तौर पर दिखाया जाता है, जिसके चलते पूजा में इसका महत्व बताया गया है.
पूजा का शुभ मुहूर्त
श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, वृषभ राशि और बुधवार के दिन हुआ था. इस साल अष्टमी तिथि की शुरुआत 6 सितंबर को संध्या 07 बजकर 58 मिनट से हो रही है और समापन अगले दिन 07 सितम्बर को संध्या 07 बजकर 52 मिनट पर होगा. आधी रात्रि में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था. इसलिए जन्माष्टमी 6 सितंबर को मनायी जाएगी. पूजा का शुभ मुहूर्त 09 बजकर 54 मिनट से 11 बजकर 49 मिनट तक है.
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