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Shiva Ji Temples: फागुन माह में भोलेनाथ के करें शुभ दर्शन, उत्तराखंड के 10 मंदिर की ये हैं पूरी लिस्ट

Uttarakhand Shiva Temples: आइए देव भूमि उत्तराखंड में स्थित भगवान भोलेनाथ के 59 मंदिर में से 10 ,मंदिरों के बारे में जान लेते हैं.

केदारनाथ धाम (Kedar Nath Temple)

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केदारनाथ धाम (Kedar Nath Temple)

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद में केदारनाथ धाम है जो देश के प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. यह मंदिर चार धाम व पंच केदार में से एक है. मान्यता है कि पांडवों के वंशज जन्मेजय ने की. 6 महीने के लिए मंदिर के पट श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते हैं और ठंड में कपाट बंद कर दिया जाता है. यहां शिव मंदिर कटवां पत्थरों के विशाल शिलाखंडो को जोड़ जोड़कर निर्मित किया गया है.

बाबा बागनाथ मंदिर (Shri Tapkeshwar Temple)

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बाबा बागनाथ मंदिर (Shri Tapkeshwar Temple)

उत्तराखंड के बागेश्वर जनपद में बाबा बागनाथ मंदिर सरयू- गोमती नदियों के संगम पर स्थित है. राजा लक्ष्मीचंद ने साल 1602 में मंदिर को बनवाया.कहते हैं कि बाघ और गाय रूपी शिवजी माता पार्वती मार्कंडेय मुनि के सामने अपने वास्तविक रूप में प्रस्तुत हुए थे. ऐसे में इसे व्याघरेश्वर के नाम से जानते हैं जोकि बागनाथ के रूप में भी जाना जाता है.

विश्वनाथ मंदिर (Vishwanath Temple)

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विश्वनाथ मंदिर (Vishwanath Temple)

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद में विश्वनाथ मंदिर भागीरथी नदी के किनारे स्थित है. उत्तरकाशी को विश्वनाथ नगरी के नाम से भी पहचाने जाते है. 

 

बिनसर महादेव मंदिर (Binsar Mahadev Mandir)

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बिनसर महादेव मंदिर (Binsar Mahadev Mandir)

रानीखेत से करीब 20 किलोमीटर दूर, कुंज नदी के सुरम्य तट पर बिनसर महादेव मंदिर स्थित है. जिसका निर्माण 10 वीं सदी में किया गया. श्रद्धालु हर साल यहां आते हैं.

जागेश्वर टेंपल ,अल्मोड़ा (Jageshwar Temple Almora)

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जागेश्वर टेंपल ,अल्मोड़ा (Jageshwar Temple Almora)

आठवां ज्योतिर्लिंग जागेश्वर धाम भगवान सदा शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. उत्तर भारत में गुप्त साम्राज्य के दौरान जब हिमालय की पहाड़ियों के कुमाऊं वाले इलाके में कत्यूरी राजा था, जागेश्वर मंदिर तभी बनाया गया. ऐसे में मंदिरों में गुप्त साम्राज्य की झलकियां भी दिखती हैं. हालांकि अल्मोड़ा जिला में 400 से ज्यादा मंदिर बनाए गए हैं. 

 

मुक्तेश्वर महादेव मंदिर (Mukteshwar Mahadev Mandir)

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मुक्तेश्वर महादेव मंदिर (Mukteshwar Mahadev Mandir)

नैनीताल जिले के मुक्तेश्वर के सर्वोच्च बिंदु पर मुक्तेश्वर महादेव मंदिर को मुक्तेश्वर धाम या मुक्तेश्वर के नाम से भी पहचाना जाता है. 350 साल पुराने शिव के नाम से कुमायु पहाड़ियों में दतिया मंदिर का नाम आता है जिसे मुक्तेश्वर धाम भी कहते हैं. 

नीलकंठ महादेव मंदिर,ऋषिकेश (NeelKanth Mahadev Mandir)

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नीलकंठ महादेव मंदिर,ऋषिकेश (NeelKanth Mahadev Mandir)

भगवान शिव को समर्पित नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश के सबसे पूज्य मंदिरों में शामिल है. मंदिर के मुख्य द्वार पर द्वारपालों की प्रतिमा स्थापित की गई है और मंदिर परिसर में कपिल मुनि व गणेश जी की प्रतिमा भी है.

कोटेश्वर महादेव मंदिर, रुद्रप्रयाग (Koteshwar Mahadev Mandir)

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कोटेश्वर महादेव मंदिर, रुद्रप्रयाग (Koteshwar Mahadev Mandir)

रुद्रप्रयाग शहर से 3 किलोमीटर दूर भगवान शिव को समर्पित कोटेश्वर मंदिर स्थित है. चार धाम की यात्रा के दौरान बहुत से श्रद्धालु इस मंदिर में भोलेबाबा के दर्शन करते हैं. गुफा के रूप में स्थित यह मंदिर अलकनंदा नदी के किनारे है और मान्यता है कि शिवजी ने केदारनाथ जाते समय गुफा में साधना की.

बैजनाथ मंदिर, बागेश्वर (Vaijnath Mandir)

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बैजनाथ मंदिर, बागेश्वर (Vaijnath Mandir)

कुमाउ कत्यूरी राजा ने बागेश्वर जिले में लगभग 1150 इस्वी में गोमती नदी के तट पर यह बैजनाथ मंदिर बनवाया गया जो कि विशाल पाषण शिलाओं से बना है और मान्यता है कि शिवजी और माता पार्वती ने गोमती व गरुड़ गंगा नदी के संगम पर विवाह किया था.

मध्यमहेश्वर मंदिर, गढ़वाल (Madhyamehshwar Mandir)

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मध्यमहेश्वर मंदिर, गढ़वाल (Madhyamehshwar Mandir)

गढ़वाल हिमालय के मंसुना गांव में प्रसिद्ध शिवजी का मध्यमहेश्वर मंदिर पंच केदार तीर्थ यात्रा में चौथा मंदिर है. जहां पूजा करके केदारनाथ तुंगनाथ व रूद्रनाथ मंदिर की यात्रा पर भक्त जाते हैं. मान्यता है कि पांडवों के द्वारा मंदिर बनाया गया है और भीम ने यहां शिवजी की पूजा की थी. मंदिर प्रांगण में भगवान शिव का दिव्य रूप “मध्य” या “बैल का पेट” या “ नाभि” माना जाता है.

गोपीनाथ मंदिर (GopiNath Temple)

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गोपीनाथ मंदिर (GopiNath Temple)

उत्तराखंड में चमोली के गोपेश्वर में गोपीनाथ मंदिर स्थित है जिसके मंदिर परिसर में शिवजी का त्रिशूल स्थित और इसमें इतनी शक्ति है कि कोई शक्तिशाली व्यक्ति इसे हिला नहीं सकता है. कहते हैं कि तर्जनी अंगुली त्रिशूल पर एकाग्र करें तो इसमें कंपन होने लगती है.