Gemstones:राहु के अशुभ प्रभावों का नाश करता है गोमेद रत्न, जानें कौन कर सकते हैं धारण
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Gemstones:राहु के अशुभ प्रभावों का नाश करता है गोमेद रत्न, जानें कौन कर सकते हैं धारण

Gomed Ratan: रत्न शास्त्र के मुताबिक राहु का रत्न गोमेद धारण करने से जातक कई मुश्किलों से छुटकारा पाता है. इस रत्न को धारण करने से सफलता भी मिलती है, हालांकि कई जातकों को इस रत्न को धारण करने से बतना चाहिए.

Significance Of Gomed Gemstone

Gomed Ratan ke Nuksan: ज्योतिष शास्त्र में जातक हर कष्ट से छुटकारा दिलाने के अनेक उपाय बताए गए हैं. वहीं रत्न शास्त्र में कुछ ऐसे रत्नों के संबंध में जानकारी दी गई है जो धारण करने वाले व्यक्ति के ग्रहों की स्थिति को काफी मजबूत कर देते हैं और हर मुश्किल से छुटकारा दिलाते हैं. इन्हीं रत्नों में से एक है गोमेद रत्न जिसे सिलोनी गोमेद के नाम से भी लोग जानते हैं. इस रत्न को धारण करने से जातक के  जीवनशैली में कई सकारात्मक बदलाव आते हैं और कई पुरानी बीमारियों से राहत दिलाता है. हालांकि कुछ लोगों को इस रत्न को नहीं पहनने के लिए कहा जाता है. 

गोमेद रत्न को राहु का रत्न माना गया है और राहु उपछाया ग्रह है, ऐसे में इस ग्रह का अपना कोई अस्तित्व नहीं है. जिस नक्षत्र या ग्रह से यह छायाग्रह जुड़ता है उससे शुभ या फिर अशुभ फल देने लगता है. हालांकि रत्न की बात करें तो इसे धारण करने से कई ग्रहों की स्थिति अच्छी होने लगती है. 

ये लोग कर सकते हैं धारण
वृषभ, मिथुन, कन्‍या, तुला व कुंभ राशि के लोग गोमेद पहन सकते हैं. इन ग्रहों के राशि स्वामी से राहु ग्रह मित्रता भाव में होता है. 
कुंडली में राहु जब राशि के छठवें व आठवें भाव या लग्न में हो तो गोमेद धारण किया जा सकता है.
राहु कुंडली में शुभ स्थिति में हो व छठवें व आठवें भाव में स्थित हो तो जातक को गोमेद सफलता दिलाता है.
राहु ग्रह की महादशा जातक पर चल रही हो व कुंडली में राहु सकारात्मक स्थित है तो गोमेद धारण कर सकते हैं

गोमेद धारण करने से मिल सकते हैं ये लाभ
गोमेद धारण करने से अनजाना डर खत्म होता है और नकारात्मक ऊर्जा जातक को छू नहीं पाती. 
शेयर बाजार, सट्टा व लॉटरी में धन का निवेश करने वालों के लिए गोमेद पहनना शुभ हो सकता है.
जो लोग राजनीति में खुद को सक्रिय रखना चाहते हैं उनको गोमेद धारण करने से काफी लाभ होता है.

इस विधि से करें धारण
7 से सवा 8 रत्ती गोमेद रत्न को अष्टधातु या चांदी की अंगुठी में जड़वाएं. शनिवार के दिन स्वाती, आर्दा व शतभिषा नक्षत्र में इस अगुठई को धारण करें. लेकिन इससे पहले  गाय के कच्चे दूध व गंगाजल से अंगूठी को शुद्ध कर लें और फिर एक माला विशेष मंत्र जापकर अंगूठी पहन लें. मंत्र है- ओम रां रावे नम:

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