Chhath Puja 2023: छठ पर्व को लोक आस्था का महापर्व कहा जाता है. हर साल कार्तिक माह की शुक्ल षष्ठी को छठ पर्व मनाया जाता है, जो पूरे चार दिनों तक चलता है. इस महापर्व पर नहाय खाय (Nahay Khay) के दिन कद्दू खाने के पीछे धार्मिक मान्यताओं के साथ वैज्ञानिक महत्व भी है.
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Chhath Puja 2023: दीपावली के बाद छठ पूजा की तैयारियां शुरू हो जाती है. हिंदू धर्म में छठ पूजा का विशेष महत्व है. यह त्योहार चार दिनों तक चलता है. यह व्रत कठिन व्रतों में से एक है. पंचाग के अनुसार छठ पूजा का यह पावन पर्व हर साल कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है. यह व्रत संतान की लंबी उम्र, उत्तम स्वास्थ्य और उज्जवल भविष्य की कामना के लिए रखा जाता है. छठ पूजा का व्रत रखने वाले लोग 24 घंटों से अधिक समय तक निर्जला उपवास रखते हैं.
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कब है छठ पूजा 2023?
छठ पर्व का मुख्य व्रत षष्ठी तिथि को रखा जाता है, लेकिन यह पर्व चतुर्थी से आरंभ होकर सप्तमी तिथि को प्रातः सूर्योदय के समय अर्घ्य देने के बाद समाप्त होता है.
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि की शुरुआत- 18 नवंबर-दिन शनिवार- सुबह 09 बजकर 18 मिनट से
तिथि का समापन-अगले दिन 19 नवंबर दिन- रविवार- सुबह 07 बजकर 23 मिनट पर होगा.
उदयातिथि के अनुसार-छठ पूजा 19 नवंबर को है.
4 दिनों तक चलती है छठ पूजा
छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय से होती है. अगले दिन खरना होता है. और तीसरे दिन छठ पर्व का प्रसाद बनाया जाता है. छठ पर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. आखिरी दिन उगते सूर्य की पूजा की जाती है.
पहला दिन-(नहाय खाय)
छठ के पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है. इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं स्नान करनए कपड़े पहनती हैं. शाम को कद्दू (लौकी) और भात का प्रसाद बनाती हैं. इस प्रसाद को खाने के बाद ही छठ व्रत शुरू हो जाता है. कद्दू भात बनाने की परंपरा सालों से चली आ रही है. मन, पेट, वचन और आत्मा की शुद्धि के लिए छठ व्रतियों और पूरे परिवार के कद्दू भात खाने की परंपरा है.
नहाय खाय के दिन क्या करें?
व्रती महिलाएं सुबह उठकर इस दिन सबसे पहले घर की साफ-सफाई करें. फिर इसके बाद नहाकर नए वस्त्र पहनें. भगवान सूर्य की आराधना-उपासना करें. इस दिन माथे पर पीला सिंदूर लगाएं, ये जरूरी है. व्रती के अलावा घर के बाकी लोग भी स्नान कर साफ-सुथरे कपड़े पहनें. इसके बाद छठ पूजा के प्रसाद की तैयारी करें. इस दिन चना की दाल, कद्दू की सब्जी, साग और अरवा चावल का भात प्रसाद के रूप में बनाया जाता है. खाने बनाने में शुद्ध घी और सेंधा नमक इस्तेमाल किया जाता है. इस दिन पूरा प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर बनाएं. मिट्टी का चूल्हा साफ माना जाता है. घर के सभी लोग यही भोजन करते हैं.
नहाय-खाय के दिन कद्दू खाने का महत्व
नहाय खाय (Nahay Khay) के दिन कद्दू (Kaddu) खाने के पीछे धार्मिक मान्यताओं के साथ वैज्ञानिक महत्व भी है. इस दिन प्रसाद के रूप में कद्दू-भात ग्रहण करने के बाद व्रती 36 घंटे निर्जला उपवास पर रहती हैं. कद्दू खाने से शरीर को अनेक प्रकार के पोषक तत्व मिलते हैं. कद्दू में पर्याप्त मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट, पानी पाया जाता है. इसके अलावा ये हमारी बॉडी में शुगर लेवल को भी मेंटेन रखता है. कद्दू को इम्युनिटी बूस्टर के तौर पर खाया जाता है जो व्रतियों को 36 घंटे के उपवास में मदद करता है.
Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.
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