उत्तराखंड के हरिद्वार में स्थापित गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय का नाम बदलकर गुरुकुल विद्यापीठ कर दिया गया. गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की स्थापना का मकसद उत्तराखंड में भारतीय बच्चों को विदेशी शिक्षा से बचाने तथा भारतीय शिक्षा प्रदान करना था.
गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की स्थापना स्वामी श्रद्धानंद ने 1902 में गंगा किनारे कांगड़ी गांव में की गई थी.
गंगा में बाढ़ आने के कारण बाद में इस विश्वविद्यालय को हरिद्वार शहर में स्थापित कर दिया गया था.
इसके बाद से गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय योग सहित प्राच्य विद्या संकाय के विषयों में देश-विदेश में अपना परचम लहरा रहा है.
गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय को 1962 में भारत सरकार द्वारा डीम्ड (Deemed) विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया था.
अभी तक समविश्वविद्यालय में कुलपति पद पर पुरुष ही आसीन हुए हैं. पहली बार प्रोफेसर हेमलता मदुरई को महिला कुलपति के रूप में नियुक्त किया गया.
गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में विज्ञान के विषयों को पहली बार हिंदी माध्यम में पढ़ाया जाना शुरू किया गया, लेकिन बाद में नाम नाम भी बदल दिया गया.
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय और यूजीसी ने गुरुकुल कांगड़ी विवि का नाम बदलकर गुरुकुल विद्यापीठ कर दिया था.
बता दें कि स्वामी श्रद्धानंद ने वैदिक विचार वाले परिवारों में पहुंचकर बच्चों को गुरुकुल भेजने की प्रेरणा दी. लोग अपने बच्चों को जंगल में बने गुरुकुल में भेजने से झिझकते थे.
स्वामी ने घोषणा की कि मैं सबसे पहले अपने पुत्र इंद्र को गुरुकुल में प्रवेश दिलाता हूं. उन्होंने अपने दोनों पुत्रों तथा निकट संबंधियों के बच्चों को प्रवेश दिला दिया.