योगी सरकार अयोध्या में भव्य राम मंदिर के बाद श्रृंगवेरपुर धाम का भी विकास करने जा रही है. प्रयागराज महाकुंभ से पहले श्रृंगवेरपुर धाम का जीर्णोद्धार होगा. बहुत कम ही लोग इस धाम के बारे में जानते हैं. तो आइये जानते हैं श्रृंगवेरपुर धाम की विशेषता.
जानकारी के मुताबिक, श्रृंगवेरपुर धाम यूपी के प्रयागराज जिले में लखनऊ रोड पर स्थित है. प्रयागराज शहर से इसकी दूरी महज 40 से 45 किलोमीटर दूर है.
रामायण काल में यह निषादराज की राजधानी हुआ करती थी. उत्तर प्रदेश पर्यटन की आधिकारिक बेवसाइट पर भी प्रयागराज के श्रृंगवेरपुर धाम के बारे में जानकारी मिलती है.
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, श्रृंगवेरपुर में श्रृंगी ऋषि का आश्रम था. राजा दशरथ ने संतान की प्राप्ति के लिए श्रृंगवेरपुर में श्रृंगी ऋषि से संतान प्राप्ति के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ कराया था.
उस यज्ञ में खीर बनाई गई थी, जिसे राजा दशरथ ने अपनी तीनों रानियों कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा को प्रसाद स्वरूप दिया था. खीर खाने के बाद राजा दशरथ को प्रभु राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के रूप में चार पुत्र प्राप्त हुए.
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, माता कैकेयी की इच्छा और पिता दशरथ की आज्ञा पर भगवान राम, पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वन के लिए निकले. वन जाते समय तब भगवान राम निषादराज की राजधानी श्रृंगवेरपुर में भी आए थे.
यहां से ही उनको गंगा नदी पार करके आगे जाना था. रामायण में भी इस घटना का जिक्र है. साथ ही श्रृंगवेरपुर का भी जिक्र है.
कहा जाता है कि भगवान राम, सीता और लक्ष्मण गंगा को पार करना चाहते थे, लेकिन मांझी ने उनको नदी पार नहीं कराई. उसे डर था कि उसकी नाव कहीं स्त्री न बन जाए क्योंकि उससे पहले प्रभु राम ने शिला बनी अहिल्या का उद्धार किया था.
ऐसे में उसकी रोजी-रोटी कैसे चलेगी? इस वजह से प्रभु राम को इस क्षेत्र में एक रात बितानी पड़ी.
तब निषादराज ने शर्त रखी कि वे नाव में तभी तीनों को चढ़ाएंगे, जब प्रभु राम अपना चरण धोने की अनुमति देंगे. इसके बाद निषादराज ने भगवान राम के पांव धुल कर उस जल को पी लिया.
प्रभु राम की कृपा से वह धन्य हो गए और बदले में उसे श्रीराम की मित्रता मिली. उसके बाद प्रभु राम, सीता और लक्ष्मण गंगा पार कर आगे बढ़े. जहां पर निषादराज ने श्रीराम के पैर धोए थे, उस स्थान पर आज एक मंच बना हुआ है.
आज भी नि:संतान लोग श्रृंगवेरपुर धाम आते हैं. यहां पूजा-पाठ करते हैं. खीर और रोट का भोग लगाते हैं. इसे प्रसाद स्वरूप ग्रहण भी करते हैं.
लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की जिम्मेदारी हमारी नहीं है. एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.